छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के प्रबंधन में बड़ा कदम: देश का पहला बायोमार्कर किट लॉन्च

Isha Maravi
Isha Maravi



रायपुर, 5 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 की गंभीरता की भविष्यवाणी और प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले भारत के पहले बायोमार्कर किट का अनावरण किया है। यह किट डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर के मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (MRU) की टीम द्वारा विकसित की गई है। इस खोज से न केवल कोविड-19 के गंभीर मामलों की प्रारंभिक पहचान में मदद मिलेगी, बल्कि इससे मरीजों के इलाज में भी व्यापक सुधार होने की उम्मीद है।

इस अनुसंधान को प्रतिष्ठित जर्नल *साइंटिफिक रिपोर्ट्स* में प्रकाशित किया गया है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि यह किट वायरस से लड़ाई में गेम-चेंजर साबित होगी। MRU टीम द्वारा बनाए गए नए बायोमार्कर शुरुआती चरण में ही उन मरीजों की पहचान कर सकते हैं जिनमें कोविड-19 के गंभीर होने का खतरा अधिक है। इससे समय पर सही उपचार, बेहतर संसाधन प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में कमी संभव हो सकेगी।

कोविड-19 प्रबंधन के लिए नया उपकरण

यह किट उन नमूनों का उपयोग करके बनाई गई है जो रूटीन कोविड-19 परीक्षणों के दौरान बचे रहते हैं। परीक्षण में इसकी 91% संवेदनशीलता और 94% विशिष्टता पाई गई है, खासकर उन मरीजों में जिनमें कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं थीं।

इस किट की मदद से डॉक्टर यह निर्णय लेने में सक्षम हो पाएंगे कि मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है या घर पर इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा, यह भी पता लगाया जा सकता है कि किस प्रकार की दवाएं मरीज के लिए सबसे प्रभावी होंगी, जिससे इलाज न केवल सुरक्षित होगा बल्कि अधिक कुशल भी होगा।

मेक इन इंडिया’ के लिए मील का पत्थर

इस खोज की वाणिज्यिक क्षमता को देखते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर ने इस किट के लिए भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट दाखिल किया है। यह परियोजना प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के साथ तालमेल बिठाते हुए, देश की मेडिकल टेक्नोलॉजी में बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करती है। इस प्रोजेक्ट को छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य प्रशासन का समर्थन प्राप्त हुआ है और इसे भारत सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

बायोमार्कर किट कैसे काम करती है?

यह परीक्षण शरीर की अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, विशेष रूप से टी-सेल प्रतिक्रिया, की पहचान करता है। नियमित आरटी-पीसीआर कोविड-19 परीक्षणों से बचे हुए आरएनए का उपयोग करके, विपरीत ट्रांस्क्रिप्शन के माध्यम से पूरक डीएनए तैयार किया जाता है। इसके बाद इस डीएनए का विश्लेषण qPCR तकनीक से किया जाता है ताकि विशेष जीनों की अभिव्यक्ति का पता लगाया जा सके। परिणामस्वरूप एक “गंभीरता स्कोर” उत्पन्न होता है, जो रोगी की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को इंगित करता है।

निम्न स्कोर यह दर्शाता है कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मजबूत है और उसे उन्नत चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं, उच्च स्कोर यह संकेत करता है कि रोगी को अधिक गहन उपचार की आवश्यकता हो सकती है या गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसी पद्धति को अन्य वायरल संक्रमणों का पता लगाने के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है।

यह बायोमार्कर किट कोविड-19 के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकती है और भविष्य में महामारी से लड़ाई के लिए आवश्यक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगी।

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