हिंदुओं पर हमलों के मुद्दे पर पूर्व गृह मंत्री की खरी खरी
शाहजहांपुर, 15 अगस्त
भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि अगर बंगलादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले नही रूके तो भारत को दखल देना पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि हमने मुगलों और आक्रांताओं को नही निकाला तो शेख हसीना की सुरक्षा करना हमारी विरासत और संस्कृति की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कल अगर बंगलादेश से मोहम्मद यूनुस भी भागकर भारत आते हैं तो उनकी भी यहां सुरक्षा की जाएगी।
स्वामी चिन्मयानंद ने यहां एक बातचीत में ये विचार व्यक्त किये। यह पूछे जाने पर कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमलों की बात सामने आ रही है भारत को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने यूनुस सरकार को बधाई देते हुए उनको एक संदेश दिया था कि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। खासतौर पर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस पर उन्होंने (यूनुस) कहा कि उनकी सुरक्षा के बारे मे चिंता करेंगे। सवाल ये है कि अगर यूनुस सरकार वहां पर हिंदुओं की सुरक्षा करने में असमर्थ है या हाथ खड़े करती है। उस स्थिति में भारत का हस्तक्षेप करना जरूरी हो जाता है। हिंदुओं पर हमले रोकना वहां की सरकार का नैतिक कर्तव्य है। अगर सरकार उनको बचाने में असमर्थ है या उनको बचाने में लापरवाही कर रही है। ऐसी में पड़ोसी देश होने कारण भारत को कदम उठाना चाहिए।
पूर्व गृह मंत्री का कहना था कि बांग्लादेश जब से बना है उसके भारत अच्छे संबंध रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम वहां के हिंदुओं या अल्पसंख्यकों को असुरक्षित नही छोड़ सकते। उनकी चिंता हमे है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि जहां तक शेख हसीना को भारत में शरण देने के मामले में कोई फैसला नही हुआ है। लेकिन हम हर हाल में चाहेंगे कि उनको सुरक्षा दी जाए। आज भी उन्होंने इस्तीफा नही दिया है वो बांग्लादेश की नैतिक रूप से अभी प्रधानमंत्री ही हैं। और अगर वो न भी हों तो अगर कोई भारत से सुरक्षा चाहता है तो भारत की परम्परा रही है। संस्कृति रही है कि हमने हमेशा शरणागत को सुरक्षा दी है तो हम तो सुरक्षा देंगे। ये सुरक्षा बांग्लादेश की यूनुस सरकार के खिलाफ नही है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ हिन्दू अल्पसंख्यकों ही नही बल्कि आवामी लीग के लोगों की भी सुरक्षा होना चाहिए। वहां हिंसा तत्काल प्रभाव से रोकी जाना चाहिए। अगर हिंसा बढ़ेगी तो भारत को मजबूर होकर हस्तक्षेप करना पड़ेगा।
यह पूछने पर की खालिदा जिया और यूनुस सरकार दोनो ही कहे रहे है कि भारत अगर मदद नही कर सकता तो दखल भी न दें, उन्होने कहा कि भारत मदद के लिए भी तैयार है लेकिन दखल तभी देगा जब वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा नही करेंगे।
शेख हसीना की मदद करने पर भारत का विरोध किये जाने पर उन्होंने कहा कि शेख हसीना उनकी दुश्मन हो सकती हैं। लेकिन हमारे लिए तो एक पड़ोसी देश की नागरिक हैं। उनकी सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।