बेटा ज्योतिया: छत्तीसगढ़ का अनोखा पर्व

Isha Maravi
Isha Maravi

24 सितम्बर 2024,छत्तीसगढ़



छत्तीसगढ़, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहाँ के पर्व और त्योहार न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े होते हैं, बल्कि समाज में भाईचारे और समर्पण के प्रतीक भी माने जाते हैं। ऐसा ही एक अनोखा त्योहार है बेटा ज्योतिया, जो विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व माता-पिता द्वारा अपने बेटों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।

बेटा ज्योतिया की परंपरा

बेटा ज्योतिया मुख्य रूप से एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें माता-पिता विशेष रूप से माताएँ अपने पुत्रों के लिए पूजा करती हैं। इस अनुष्ठान में एक विशेष प्रकार की दीप जलाने की परंपरा होती है, जिसे ‘ज्योति’ कहा जाता है। यह ज्योति आमतौर पर मिट्टी के दीये में घी या तेल भरकर जलाई जाती है। मान्यता है कि इस ज्योति के माध्यम से भगवान से अपने बेटों की सुख-शांति, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।

अनुष्ठान की विधि

बेटा ज्योतिया का आयोजन विशेष रूप से कार्तिक मास के दौरान किया जाता है। इस पर्व की तैयारी में महिलाएँ पहले से ही जुट जाती हैं। अनुष्ठान के दिन माताएँ उपवास करती हैं और फिर अपने पुत्रों के नाम पर विशेष पूजा करती हैं। पूजा स्थल पर बेटों के नाम से दीप जलाए जाते हैं और उन्हें जलाने के बाद देवी-देवताओं की आराधना की जाती है।

पूजा के दौरान बेटों की लंबी उम्र, सुखद जीवन और अच्छी सेहत की कामना करते हुए धार्मिक गीत गाए जाते हैं। पूजा के अंत में माताएँ अपने बेटों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य अपने पुत्रों के प्रति स्नेह और समर्पण को प्रकट करना है।

समाज और संस्कृति में महत्व

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में बेटा ज्योतिया को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के माध्यम से पारिवारिक एकता और समाज में मातृत्व की महिमा को सम्मान मिलता है। यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि बेटों के प्रति माता-पिता का प्यार और आशीर्वाद कितना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही यह त्योहार समाज में एकता और सौहार्द्र का भी संदेश देता है।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति में बेटे और बेटियों दोनों के लिए विशेष पर्व मनाए जाते हैं, लेकिन बेटा ज्योतिया एक ऐसा पर्व है, जिसमें विशेष रूप से पुत्रों के स्वास्थ्य और उन्नति की कामना की जाती है। इस पर्व का धार्मिक और सामाजिक महत्व अत्यंत गहरा है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।

वर्तमान में बेटा ज्योतिया

आज के समय में भी, जब आधुनिकता ने ग्रामीण जीवन को प्रभावित किया है, बेटा ज्योतिया की परंपरा पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाई जाती है। यह पर्व न केवल छत्तीसगढ़ में, बल्कि आसपास के राज्यों में भी लोकप्रिय हो रहा है। इस त्योहार के माध्यम से पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं और माता-पिता की अपने बच्चों के प्रति निःस्वार्थ प्रेम की झलक दिखाई देती है।

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