छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाबालिक बलात्कार पीड़िता के गर्भपात की याचिका को खारिज कर दिया है। यह मामला एक ऐसे 14 वर्षीय लड़की से जुड़ा है जिसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। पीड़िता के परिजनों ने गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति पी. सतीश शंकर की खंडपी द्वारा सुनाए गए फैसले में कहा गया है कि चिकित्सा रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का गर्भ 24 सप्ताह का है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम 1971 के अनुसार, 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति नहीं है। केवल विशेष परिस्थितियों में ही गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है, जैसे कि मां के जीवन को खतरा या गंभीर चोट पहुंचने का जोखिम।
फैसले में आगे कहा गया है कि कोर्ट पीड़िता के मानसिक आघात को समझता है। हालांकि, इस मामले में चिकित्सा रिपोर्ट के अनुसार, मां के जीवन को कोई खतरा नहीं है। ऐसे में कोर्ट MTP अधिनियम का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
बहरहाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह पीड़िता को हर संभव चिकित्सा सहायता और कानूनी सहायता प्रदान करे। साथ ही, कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह इस मामले की त्वरित जांच करे और आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे।
यह फैसला विवादास्पद हो सकता है क्योंकि यह नाबालिक बलात्कार पीड़िता के मानसिक आघात को पूरी तरह से ध्यान में नहीं लेता है। हालांकि, कोर्ट ने कानून का पालन करते हुए फैसला सुनाया है। इस मामले को लेकर आगामी चर्चा यह हो सकती है कि क्या MTP अधिनियम में संशोधन की जरूरत है या नहीं, ताकि ऐसी परिस्थितियों में गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जा सके।