रायपुर, 02 सितम्बर 2024 (राज्य ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास में आज तीजा-पोरा तिहार का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस खास मौके पर प्रदेश की महिलाएं अपने ‘विष्णु भैया’ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ इस पारंपरिक त्योहार का आनंद लेती नजर आईं। मुख्यमंत्री साय ने अपनी पत्नी कौशल्या देवी साय के साथ भगवान शिव और नंदीराज की विधि-विधान से पूजा अर्चना की और प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
इस पर्व में उप मुख्यमंत्री अरुण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री निवास में हर तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल देखने को मिला, जहाँ साय परिवार और महिलाओं ने मिलकर तीजा-पोरा की पूजा और उत्सव मनाया।
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को तीजा-पोरा तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह खेती-किसानी और पशुधन के महत्व को उजागर करता है। इस दिन घरों में बैल और जाता-पोरा की पूजा की जाती है, ताकि अच्छी फसल और समृद्धि की प्रार्थना की जा सके।
मुख्यमंत्री निवास में आए विशेष अतिथियों और बहनों के लिए छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजनों का आयोजन किया गया। कौशल्या साय ने खुद सीएम हाउस में छत्तीसगढ़िया व्यंजनों जैसे ठेठरी-खुरमी और करू भात को तैयार करने की देखरेख की।
मुख्यमंत्री निवास को इस अवसर पर मिट्टी के नंदिया बइला और रंगीन खिलौनों से खूबसूरती से सजाया गया। यह सजावट पारंपरिक गौरव की झांकी की तरह नजर आ रही थी, जिसे देखने के लिए महिलाएं और बच्चे खासे उत्साहित दिखे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री साय ने महिलाओं के लिए लाख की चूड़ियां भी उपहार में दी। कार्यक्रम में आई कारीगर बहनों ने महिलाओं के हाथों में नाप के अनुसार चूड़ियां तैयार कीं। इस प्रकार, मुख्यमंत्री निवास महिलाओं के लिए एक दिन के लिए मायका बन गया।
कार्यक्रम में महतारी वंदन योजना से लाभान्वित महिलाओं, महिला स्वसहायता समूहों और मितानिनों सहित करीब तीन हजार महिलाओं को आमंत्रित किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के अंतर्गत प्रतिभागी महिलाओं ने शपथ पत्र का वाचन भी किया, जो पोषण के प्रति जागरूकता और स्वास्थ्य सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री निवास में मनाया गया यह तीजा-पोरा तिहार पूरे राज्य में महिलाओं के लिए एक यादगार पल बन गया, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सजीव बनाए रखने का प्रतीक है।