नई दिल्ली, 4 सितंबर 2024: भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन आई ड्रॉप्स को मंजूरी दे दी है, जो पढ़ने के चश्मे की जरूरत को खत्म कर सकते हैं। यह पहली बार है जब देश में इस तरह की चिकित्सा तकनीक को मंजूरी मिली है, जो उन लाखों लोगों के लिए राहत का कारण बनेगी जिन्हें उम्र बढ़ने के साथ नजदीक की चीजें पढ़ने में कठिनाई होती है।
आई ड्रॉप्स की विशेषताएं और प्रभाव
यह आई ड्रॉप्स, जिसे ‘विजनरी ड्रॉप्स‘ नाम दिया गया है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए तैयार किया गया है जिन्हें ‘प्रेसबायोपिया’ की समस्या होती है। प्रेसबायोपिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें उम्र के साथ आंखों की लेंस की लचीलेपन की कमी हो जाती है, जिससे निकट दृष्टि धुंधली हो जाती है और पढ़ने के लिए चश्मे की जरूरत पड़ती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ‘विजनरी ड्रॉप्स’ आंखों की लेंस को फिर से लचीला बनाते हैं, जिससे नजदीक की वस्तुओं को देखने की क्षमता में सुधार होता है। नियमित रूप से इन आई ड्रॉप्स का उपयोग करने से चश्मे की आवश्यकता कम हो सकती है या पूरी तरह से खत्म हो सकती है।
मेडिकल समुदाय की प्रतिक्रिया
आई ड्रॉप्स की मंजूरी के बाद चिकित्सा समुदाय में उत्साह का माहौल है। प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता शर्मा ने कहा, “यह एक क्रांतिकारी कदम है। पढ़ने के चश्मे से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए यह आई ड्रॉप्स एक वरदान साबित हो सकते हैं। यह उपचार प्रक्रिया सरल और प्रभावी है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।”
बाजार में उपलब्धता
‘विजनरी ड्रॉप्स’ अगले महीने से देशभर के फार्मेसियों में उपलब्ध होंगे। हालांकि, इसका उपयोग शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होगा। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि यह आई ड्रॉप्स विशेष रूप से 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होंगे, जिन्हें प्रेसबायोपिया के कारण पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता होती है।
आम जनता की उम्मीदें
इस नई चिकित्सा तकनीक के आने से आम जनता में भी उत्साह है। लोग इसे एक बड़ी राहत के रूप में देख रहे हैं, खासकर वे लोग जिन्हें चश्मे पहनने में असुविधा होती है। इसके साथ ही, यह आई ड्रॉप्स उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होंगे जो बिना चश्मे के जीवन जीने की इच्छा रखते हैं।
भारत में पहली बार, ऐसे आई ड्रॉप्स को मंजूरी मिली जो पढ़ने के चश्मे की जरूरत को खत्म कर सकते हैं
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