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बुंदेलखंड के जालौन में जल संरक्षण का असर… भूजल स्तर में सुधार, किसानों का पलायन रुका

योगी सरकार की नीतियों से बदली तस्वीर और किसानों की तकदीर, जिले में दो मीटर तक बढ़ा भूजल स्तर, सिंचाई के खर्च में आई कमी

लखनऊ, 5 दिसंबर 2025:

बुंदेलखंड का जालौन, जो कभी सूखे और जल संकट से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में रहा है, अब योगी सरकार के जल संरक्षण प्रयासों के चलते सकारात्मक बदलाव का उदाहरण बनकर उभरा है। जिले के कई ब्लॉकों में भूजल स्तर करीब दो मीटर तक बढ़ा है, जिससे सिंचाई की उपलब्धता और कृषि चक्र दोनों में सुधार दिखाई दे रहा है।

प्रदेश सरकार की पहल पर पिछले वर्षों में चेक डैम, तालाबों के पुनर्जीवन और फार्म पॉन्ड्स जैसी हजारों जल संरचनाएं तैयार की गईं। इनके चलते वर्षा जल का संचयन बढ़ा और वाटर टेबल लगातार रिचार्ज होने लगी। नतीजतन कई क्षेत्रों में ट्यूबवेल की पंपिंग क्षमता पहले की तुलना में कई गुना बढ़ी है और किसानों का सिंचाई खर्च भी कम हुआ है।

जालौन के सैद नगर गांव की निवासी विद्या बताती हैं कि पानी की उपलब्धता बढ़ने से घरेलू उपयोग और खेती-दोनों में राहत मिली है। पहले दूर से पानी लाना पड़ता था, अब गांव में ही पर्याप्त सुविधा हो गई है।
बेहतर जल व्यवस्था का असर खरीफ और रबी दोनों मौसम पर पड़ा है। धान, बाजरा, दालें और तिलहन जैसी फसलों में उत्पादन बढ़ा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि देखी जा रही है।

सिंचाई व्यवस्था स्थिर होने से सामाजिक स्तर पर भी सकारात्मक बदलाव आए हैं। पहले जहां जालौन में मौसमी पलायन आम बात थी, वहीं अब खेती में स्थिरता आने से इसमें कमी दर्ज की गई है। समुदाय की भागीदारी को बढ़ाने के लिए सरकार की पहल पर जल पंचायतों और जागरूकता कार्यक्रमों ने भी प्रभावी भूमिका निभाई है। जिले के इन प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली और जालौन को राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 में उत्तर क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ जिला चुना गया।

योगी सरकार की योजनाओं और स्थानीय लोगों की भागीदारी से जालौन में जल प्रबंधन की स्थिति मजबूत हुई है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थायी परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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