करण जौहर ने की महंगी मूवी टिकट और फूड-ड्रिंक की आलोचना, बोले- ‘सिनेमा देखने से बेहतर है रेस्तरां जाना!’

Isha Maravi
Isha Maravi



मुंबई, 24 सितंबर 2024:
बॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में सिनेमा हॉल में बढ़ती टिकट और फूड-ड्रिंक की कीमतों पर अपनी नाराजगी जाहिर की। करण ने बताया कि आजकल एक परिवार के लिए थिएटर में फिल्म देखने का अनुभव कितना महंगा हो गया है। उन्होंने कहा कि एक चार सदस्यीय परिवार के लिए सिनेमा का आउटिंग करना लगभग ₹10,000 तक का खर्चा बन जाता है।

मूवी टिकट और खाने की बढ़ती कीमतों पर करण की चिंता

करण जौहर ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि आजकल सिनेमा देखने जाना एक लक्जरी बनता जा रहा है। महंगी टिकट और फूड-ड्रिंक आइटम्स के कारण लोगों को थिएटर में फिल्म देखना भारी पड़ता है। उन्होंने कहा, “एक सामान्य परिवार जब फिल्म देखने थिएटर जाता है, तो सिर्फ टिकट और खाने-पीने के सामान पर ही भारी खर्च करना पड़ता है। अगर आप टिकट की कीमत और खाने का बिल जोड़ें, तो यह खर्च ₹10,000 तक पहुंच जाता है।” करण ने यह भी कहा कि इस कारण से कई परिवार अब थिएटर में फिल्म देखने की बजाय रेस्तरां में खाना खाने जाना पसंद कर रहे हैं।

फिल्म इंडस्ट्री पर इसका असर

करण जौहर का मानना है कि थिएटर में फिल्में देखने का क्रेज धीरे-धीरे घट रहा है क्योंकि लोग अब महंगी टिकट और खाने-पीने की कीमतों से परेशान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका असर फिल्म इंडस्ट्री पर भी पड़ सकता है, क्योंकि लोग अब फिल्मों को थिएटर में देखने की बजाय ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले रहे हैं, जहां वे अपने बजट में मनोरंजन का आनंद ले सकते हैं।

क्या कहती है फिल्म इंडस्ट्री?

करण की इस टिप्पणी के बाद फिल्म इंडस्ट्री में भी चर्चा शुरू हो गई है। कई फिल्म निर्माता और अभिनेता भी इस बात से सहमत हैं कि थिएटर की कीमतें आम जनता के बजट से बाहर हो रही हैं, जिससे फिल्मों की दर्शक संख्या पर असर पड़ सकता है। साथ ही, उन्होंने सिनेमाघरों से अपील की है कि वे टिकट और फूड-ड्रिंक की कीमतों पर ध्यान दें ताकि लोग थिएटर में फिल्में देखने के लिए प्रेरित हो सकें।

आगे की राह क्या?

करण जौहर की यह टिप्पणी फिल्म इंडस्ट्री और थिएटर मालिकों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। आने वाले समय में यदि टिकट और खाने-पीने की कीमतों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो लोगों की सिनेमा हॉल में जाने की रुचि और भी कम हो सकती है।

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