रायपुर, 15 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इस वर्ष करमा तिहार कार्यक्रम का आयोजन भव्य रूप से किया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मौके पर कहा कि “प्रगति के साथ-साथ आदिवासी संस्कृति का संरक्षण भी बहुत जरूरी है।” उन्होंने करमा तिहार के अवसर पर आदिवासी समुदाय के सांस्कृतिक उत्सव की महत्वपूर्णता पर जोर दिया और कहा कि इसे संरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री साय ने करमा तिहार में मांदर की थाप पर जमकर थिरकते हुए कहा, “हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखना चाहिए क्योंकि यह हमारे समाज को जोड़ती है। करमा तिहार प्रकृति से जुड़ा एक महत्वपूर्ण त्योहार है और हर साल राजधानी रायपुर में इसे मनाया जाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। करमा तिहार जैसे त्योहार आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इस अवसर पर उन्होंने राज्य के विकास और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा किया और सभी को अपनी परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित रखने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि राज्य में अब से हिंदी में मेडिकल शिक्षा शुरू की जाएगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग और विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री के साथ करमा तिहार के उल्लास में भाग लिया।
करमा तिहार 2024: प्रगति के साथ-साथ आदिवासी संस्कृति का संरक्षण भी है जरूरी – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
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