मध्य प्रदेश सरकार के एक ताजा आदेश ने शिक्षा जगत में हड़कंप मचा दिया है। सरकार ने गैर-डीएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) डिग्री वाले शिक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश जारी किया है। इस आदेश से हजारों शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है। शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और आंदोलन की चेतावनी दी है।
सरकार का कहना है कि यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है। उनका तर्क है कि डीएड डिग्री प्राप्त शिक्षकों को शिक्षण का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर पाते हैं। वहीं, शिक्षक संगठनों का कहना है कि गैर-डीएड डिग्री वाले शिक्षक भी लंबे समय से बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उनके अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि सरकार के इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी।
यह मुद्दा राजनीतिक विवाद का भी रूप लेता जा रहा है। विपक्षी दल सरकार पर शिक्षकों के साथ अन्याय करने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को गैर-डीएड शिक्षकों को डीएड की ट्रेनिंग देने का विकल्प देना चाहिए, न कि उन्हें सीधे नौकरी से निकालना चाहिए। यह देखना होगा कि सरकार शिक्षकों की मांगों को मानती है या अपने फैसले पर अडिग रहती है। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि इस मामले का हल जल्द से जल्द निकाला जाए ताकि शिक्षा व्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।