बांग्लादेश, 23 अगस्त
बांग्लादेश से भागने के बाद भी शेख हसीना की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के निर्देश पर पहले ही हसीना के खिलाफ 13 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना, उनकी सरकार में रहे कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों के राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है। अपनी जान बचाने के लिए ढाका से भारत आईं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है। उनके पास डिप्लोमेटिक पासपोर्ट है यह उन्हें अधिकार देता है कि वो भारत में बिना वीजा के 45 दिन तक रह सकती हैं, लेकिन इसके बाद क्या होगा? यह बड़ा सवाल है। वह 5 अगस्त को भारत आई थीं। अब उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी।
बता दें, बांग्लादेश और भारत के बीच 2013 में हस्ताक्षरित और 2016 में संशोधित संधि के हिसाब से अगर अपराध राजनीतिक चरित्र का है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि हत्या जैसे अपराध संधि के प्रयोजनों के लिए राजनीतिक चरित्र के अपराध नहीं माने जाएंगे। प्रत्यर्पण से इनकार करने का एक आधार यह है कि आरोप न्याय के हित में और अच्छे विश्वास में नहीं लगाए गए हैं।
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सुरक्षा सेवा प्रभाग के वरिष्ठ सचिव मोहम्मद मशीउर रहमान कहते हैं, एक बार जब किसी का राजनयिक यानी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द होता है, तो उनके परिवार के सदस्यों के पासपोर्ट भी स्वतः ही रद्द हो जाते हैं। राजनयिक पासपोर्ट रखने वालों के लिए, नया, साधारण पासपोर्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया के लिए उन्हें पहले अपना राजनयिक पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। पासपोर्ट रद्द होने से शेख हसीना को विदेश यात्रा जाने पर सीधे रोक लग गई है और अब उन्हें बांग्लादेश लौटने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जहां उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने संकेत दिया कि बांग्लादेश भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है। रॉयटर्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, हसीना के निष्कासन के बाद से उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। बांग्लादेश भारत से शेख हसीना को वापस सौंपने की मांग करता है और अगर भारत उससे इनकार करता है तो दोनों देशों के बीच सम्बंध खराब हो सकते हैं।
गौरतलब है कि, शेख हसीना ने पहली बार भारत में शरण नहीं ली है। साल 1975 में अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद भी हसीना ने भारत से राजनीतिक शरण मांगी थी और भारत ने उनको शरण दी थी। ऐसा देखा गया है कि शेख हसीना के मामले में भारत का रवैया नरम रहा है। इस साल 5 अगस्त को हसीना एक सैन्य विमान से दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस ले जाया गया था। इसके बाद से हसीना भारत में एक सुरक्षित ठिकाने पर हैं।