मुगल वास्तुकला: भारत की धरोहर

Isha Maravi
Isha Maravi



नई दिल्ली, 24 सितंबर 2024
मुगल वास्तुकला भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी अद्वितीय धरोहर है, जिसने भारतीय कला और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है। 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच मुगल साम्राज्य के दौरान यह शैली अपने चरम पर पहुँची। मुगल सम्राटों, विशेष रूप से बाबर, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने भारत में भव्य भवनों, मस्जिदों, किलों और मकबरों का निर्माण करवाया, जो आज भी अपनी सुंदरता और शिल्पकला के लिए विख्यात हैं।

प्रमुख विशेषताएँ

मुगल वास्तुकला की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. गुम्बद और मेहराब: मुगल स्थापत्य में गुम्बद और मेहराबों का बहुतायत में प्रयोग किया गया। यह इस्लामी वास्तुकला से प्रभावित थे। दिल्ली का हुमायूँ का मकबरा और ताजमहल इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।


2. पानी की सजावट: मुगल उद्यानों में जल का महत्वपूर्ण स्थान था। मुगल बागों में फव्वारे, जलाशय और नहरें बनाई जाती थीं। शालीमार बाग और निशात बाग इसके सुंदर उदाहरण हैं।


3. जाली कार्य: मुगल भवनों में बारीक जाली का काम देखने को मिलता है। पत्थर की जालियों से प्रकाश और हवा का प्रवेश होता था, जो भवनों में शीतलता लाता था। आगरा के ताजमहल और दिल्ली के लाल किले में इस शिल्पकला को देखा जा सकता है।


4. संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर: मुगल भवनों के निर्माण में संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर का व्यापक रूप से इस्तेमाल हुआ। विशेष रूप से शाहजहां के समय में संगमरमर का अधिक प्रयोग हुआ। ताजमहल, जिसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है, इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है।



प्रमुख संरचनाएँ

1. ताजमहल: 1632-1653 के बीच बना ताजमहल मुगल वास्तुकला का सबसे अद्भुत उदाहरण है। यह सफेद संगमरमर से निर्मित मकबरा है, जिसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था।


2. लाल किला: दिल्ली स्थित लाल किला शाहजहां के समय में 1638 में बनाया गया था। यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित किला है और इसमें मुगल स्थापत्य के सभी प्रमुख तत्व देखने को मिलते हैं।


3. जामा मस्जिद: 1656 में शाहजहां द्वारा निर्मित यह मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसमें मुगल वास्तुकला की भव्यता और शिल्पकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

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