रायपुर, 13 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित “पोषण आहार” कार्यक्रम, राज्य में कुपोषण से लड़ने के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल बन चुका है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाना और उनके पोषण स्तर को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम विशेष रूप से 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए लक्षित है और राज्य के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर लागू किया गया है।
क्या है पोषण आहार कार्यक्रम?
“मिशन पोषण 2.0” के तहत, बच्चों की वृद्धि का समय-समय पर मूल्यांकन करने के लिए ‘पोषण ट्रैकर’ नामक एक अत्याधुनिक आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) एप्लिकेशन का उपयोग किया जा रहा है। इस एप्लिकेशन की मदद से बच्चों के विकास की स्थिति का निरीक्षण और माप किया जाता है, जिससे उनके पोषण स्तर की पहचान की जा सकती है और आवश्यक हस्तक्षेप किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में, प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र पर उपलब्ध वृद्धि माप उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिससे डेटा प्रविष्टि और नियमित निगरानी की जाती है।
कार्यक्रम की चुनौतियाँ और समाधान
छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किए हैं। इसके तहत, राज्य भर में नियमित रूप से बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है और उनके पोषण की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न हस्तक्षेप किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम की विस्तारित पहुंच और प्रभाव से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों की वृद्धि के मुद्दों की पहचान और समाधान समय पर हो सके।
पोषण माह और इसके महत्व
राष्ट्रीय पोषण माह (1 से 30 सितंबर) के दौरान, राज्य में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें लोगों को पोषण के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस वर्ष की थीम “सही पोषण – देश रोशन” के तहत विभिन्न जन आंदोलनों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे लोगों को पोषण के महत्व के प्रति जागरूक किया जा सके।
भविष्य की दिशा
इस कार्यक्रम के तहत अब तक 8.9 करोड़ बच्चों का पंजीकरण किया गया है और 8.57 करोड़ बच्चों की नियमित वृद्धि माप की गई है। यह आंकड़ा इस कार्यक्रम की सफलता का एक बड़ा प्रमाण है, जो भारत के सबसे कम उम्र के नागरिकों के लिए एक स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जगाता है।
पोषण आहार कार्यक्रम का लक्ष्य न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाना है, बल्कि समुदायों को उनके बच्चों की भलाई का प्रभार लेने के लिए सशक्त बनाना भी है। इस प्रकार की पहल से न केवल वर्तमान में लाभ होगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत नींव प्रदान करेगी।
महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक, श्री दिलदार सिंह मरावी ने दूर्दर्शन के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कुपोषण के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार की योजनाओं पर चर्चा की। इस साक्षात्कार का उद्देश्य जनता को कुपोषण के कारणों, इसके नकारात्मक प्रभावों, और इससे निपटने के उपायों के बारे में जानकारी देना था।
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