छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सेना के अभ्यास क्षेत्र के लिए भूमि अधिग्रहण की तैयारी

Isha Maravi
Isha Maravi



रायपुर, 8 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के दुर्गम वन क्षेत्र में भारतीय सेना के अभ्यास क्षेत्र (मेनोवेर रेंज) की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की है। अबूझमाड़ क्षेत्र अपनी प्राकृतिक संरचना, जंगलों और आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है, और इस कदम से क्षेत्र में सुरक्षा और रक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की योजना है।

अभ्यास क्षेत्र की आवश्यकता
भारतीय सेना के अधिकारियों के अनुसार, अबूझमाड़ क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां की भूगोलिक स्थिति और घने जंगल सैन्य अभ्यास के लिए उपयुक्त हैं, जिससे सेना को विशेष ऑपरेशनों, रणनीतिक अभ्यास और जंगल युद्ध तकनीक में कुशलता हासिल करने में मदद मिलेगी। सेना की योजना है कि इस क्षेत्र का उपयोग आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों और जंगल युद्ध की तकनीकों में महारत हासिल करने के लिए किया जाए।

राज्य सरकार के साथ मिलकर सेना की यह योजना काफी समय से चर्चा में थी। सेना के अधिकारियों का मानना है कि अबूझमाड़ का दूरस्थ और दुर्गम इलाका अभ्यास के लिए आदर्श साबित हो सकता है, जहां अन्य बाहरी हस्तक्षेप कम होंगे और अभ्यास की गोपनीयता बनी रहेगी।

भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया
छत्तीसगढ़ सरकार अबूझमाड़ क्षेत्र में लगभग 20,000 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू करने वाली है। राज्य के अधिकारियों ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच समन्वय बनाया जा रहा है। हालांकि, स्थानीय आदिवासी समुदायों की सहमति और उनके हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। भूमि अधिग्रहण के बाद इसे सेना के अधीन कर दिया जाएगा, जहां आवश्यक संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा।

अबूझमाड़ के इलाके में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आदिवासी समुदाय के लोगों को विस्थापित नहीं किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण किया जाएगा, वहां पहले से बसे आदिवासियों को पुनर्वास और मुआवजे का आश्वासन दिया गया है। इसके अलावा, सरकार उन आदिवासी परिवारों को विशेष सहायता प्रदान करने पर भी विचार कर रही है जो इस योजना के तहत प्रभावित हो सकते हैं।

स्थानीय विरोध और चिंताएं
हालांकि इस योजना से सेना और राज्य सरकार को सामरिक लाभ होंगे, लेकिन स्थानीय आदिवासी समुदायों और पर्यावरणविदों ने इस कदम पर चिंता जताई है। अबूझमाड़ का जंगल क्षेत्र स्थानीय आदिवासी जीवन का हिस्सा है, और इस क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। कुछ स्थानीय नेताओं का मानना है कि इस कदम से आदिवासी संस्कृति और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।

पर्यावरणविदों का कहना है कि अबूझमाड़ वन क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है, और इस क्षेत्र में कोई भी बड़ा निर्माण पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ सकता है। जंगलों की कटाई से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास पर असर पड़ सकता है और इससे इस क्षेत्र में लंबे समय तक पर्यावरणीय क्षति होने की संभावना है।

सुरक्षा दृष्टिकोण से अहम
छत्तीसगढ़ राज्य लंबे समय से नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहा है, और अबूझमाड़ क्षेत्र को नक्सलियों का प्रमुख गढ़ माना जाता है। सेना के अभ्यास क्षेत्र की स्थापना से नक्सलवाद विरोधी अभियानों को मजबूती मिलेगी। सेना के अधिकारियों का मानना है कि यह कदम राज्य की सुरक्षा स्थिति को सुधारने में मदद करेगा और सेना की रणनीतिक क्षमताओं को और भी मजबूत बनाएगा।

राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि भूमि अधिग्रहण और अभ्यास क्षेत्र की स्थापना के दौरान सभी पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जाएगा। इसके साथ ही स्थानीय समुदायों की चिंताओं को ध्यान में रखकर उनकी राय और सुझाव भी लिए जाएंगे।

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