नई दिल्ली, 2 दिसंबर 2025 :
स्मार्टफोन्स में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने के आदेश पर विवाद बढ़ने के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। आज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह ऐप पूरी तरह ऑप्शनल होगा और यूजर चाहे तो इसे फोन से डिलीट भी कर सकेगा। सरकार के इस बयान के बाद लोगों और टेक कंपनियों में फैली कई चिंताओं को लेकर अब तस्वीर साफ हो गई है।
क्या था सरकार का निर्देश?
दूरसंचार विभाग (DoT) ने Apple, Samsung, Motorola, Xiaomi, Vivo और Oppo जैसी कंपनियों को आदेश दिया था कि वे अपने नए स्मार्टफोन्स में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल करके बेचें। आदेश के मुताबिक-कंपनियों को 90 दिनों में ऐप प्री-इंस्टॉल करना शुरू करना था। इसके अलावा 120 दिनों में DoT को कंप्लायंस रिपोर्ट भेजनी थी और नियम न मानने पर जुर्माना भी लग सकता था। इसके बाद टेक कंपनियों और साइबर विशेषज्ञों ने इस फैसले पर कई सवाल उठाए थे-डेटा कहां स्टोर होगा? ऐप क्या-क्या परमिशन लेगा? क्या इसे हटाया जा सकेगा? इन चिंताओं को देखते हुए सरकार ने अब साफ कहा है कि यूजर चाहे तो इस ऐप को अनइंस्टॉल कर सकता है।
सिम बाइंडिंग का नियम भी आया विवादों में
संचार साथी के अलावा सरकार ने WhatsApp और Telegram जैसे मैसेजिंग ऐप्स के लिए सिम-बाइंडिंग का आदेश भी जारी किया था। यह नियम फरवरी 2026 से लागू होगा। इस नियम के हिसाब से जिस मोबाइल नंबर से मैसेजिंग ऐप चलाया जा रहा है। वही सिम फोन में होना जरूरी होगा। जैसे ही यूजर फोन से सिम निकालेगा, ऐप काम करना बंद कर देगा। इस फैसले को लेकर भी कई टेक विशेषज्ञों ने तकनीकी दिक्कतों की ओर इशारा किया है।
टेक कंपनियां और एक्सपर्ट्स क्यों नाखुश?
रिपोर्ट्स के अनुसार Apple समेत कई बड़ी कंपनियां संचार साथी ऐप को फोन में प्री-इंस्टॉल करने के फैसले से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यह उनकी ग्लोबल पॉलिसी के खिलाफ है। कई कंपनियां इस फैसले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर भी विचार कर रही हैं। इसी तरह सिम-बाइंडिंग को लेकर ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) के प्रेसिडेंट टी. वी. रामचंद्रन का कहना है कि यह फीचर हर डिवाइस पर ठीक से काम नहीं कर सकता और इसमें सिस्टम लेवल की कई समस्याएं आ सकती हैं।






