डॉ कोमल शर्मा
प्राकृतिक चिकित्सक एवं पत्रकार
उम्र बढने के साथ साथ हड्डियां, नज़र, याददाश्त के साथ साथ शरीर के बाकी अंगों पर भी असर पड़ता है, हड्डियां और शरीर के ज्वाइंट यानि जोड़ कमजोर हो जाते है लेकिन क्या आप जानते है कि हड्डियों की समस्या से भी ज्यादा खतरनाक होती है उम्र के साथ मांसपेशियां कमज़ोर होना। जी हां, उम्र बढ़ने के साथ साथ कई बार शरीर की मांसपेशियों पर भी खासा असर पड़ता है, जो एक डरावनी स्थिति हो सकती है। मांसपेशियों के कमजोर होने की इस स्थिति को मेडिकल भाषा में सर्कोपेनिया (Sarcopenia) कहा जाता है।
दरअसल उम्र बढ़ने के साथ साथ शरीर में भी ढ़ीलापन आने लगता है स्किन लटकी दिखाई देती है, शारीरिक क्षमता में कमी आ जाती है जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण मांसपेशियों का कमजोर होना है। हर 9 से 10 साल में शरीर की 4-8 फीसदी ‘मसल मास’ कम होता जाता है, जिसके पीछे कारण कुछ प्राकृतिक जैसे बढ़ती उम्र तो कुछ खराब लाईफ स्टाईल होता है। अनेक परिस्थितियों में कम उम्र में भी शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। जिनमें टाईप 2 डायबटीज मुख्य है। गलत खानपान और आधुनिक जीवन भी बहुत हद तक इसके लिए जिम्मेदार है।
सर्कोपेनिया होने पर स्टेमिना पर भी अच्छा खासा असर पड़ता है। किसी चीज को पकड़ने, कुछ करने, ज्यादा चलने, उठने बैठने में मासपेशियों के दर्द करने जैसी समस्यों से सामना करना पड़ता है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 18 फीसदी से ज्यादा लोग जो उम्र के उस पड़ाव पर नही होने के बावजूद सर्कोपेनिया से पीड़ित है। यानि कह सकते है कि उम्र से पहले उम्रदराज होने के पड़ाव पर है।
हमारे देश में पुरूषों से ज्यादा महिलाएं सर्कोपेनिया बीमारी से ज्यादा जूझ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण हमारे देश की महिलाओं का अपने खानपान से समझौता करना जैसे समय पर भोजन ना करना, सही डाइट ना लेना है। वहीं शारीरिक कसरत जैसे खेलकूद , साईकिल चलना, तैराकी, योग, सैर आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल नही करने से भी मासपेशियों की ताकत में कमी आने लगती है। तनाव और धुम्रपान भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।
सर्कोपेनिया के प्रभाव को कैसे कम करें?
जितना हो सके चलने की आदत डालें।
देर तक बैठे या लेटे ना रहे।
सीढियां चढ़ने और उतरने की आदत बनाए रखे।
व्यायाम से नाता जोड़े।
पोष्टिक भोजन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
उम्र कोई भी हो चाहे 20 या 40 या 70 शरीर से काम करना ना छोड़े।
हफ्ते में एक से दो बार शरीर की प्रकृति के मुताबिक मालिश करें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम करें।
सही मात्रा में पानी पिए।
अपान मुद्रा और प्राण मुद्रा का 20-20 मिनट का दिन में कम से कम दो बार अभ्यास करें।
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है पैरों में पहले कमजोरी महसूस होती है यानि की पैरों की मसल्स पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है, इसको ऐसे समझा जा सकता है कि दो हफ्ते तक पैरों को नही हिलाने पर ही मांसपेशियों पर अच्छा खासा असर पड़ सकता है। मानव शरीर की 50 फीसदी नसें और 50 फीसदी रक्त वाहिकाएं पैरों में ही होती है, शरीर के स्तंभ है ये पैर। इसलिए हर रोज कम से कम आधा घंटा जरूर टहलें।
याद रखिए कि सर्कोपेनिया ऑस्टियोपोरोसिस से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस में गिरने पर हड्डी पर असर पड़ने का डर रहता है लेकिन सर्कोपेनिया आपके जीवन की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है।