श्रीकांत बोला का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे श्रीकांत की कहानी अपने आप में अद्वितीय है। आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाले श्रीकांत का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलने का जज्बा रखते हैं। जन्म से ही नेत्रहीन होने के बावजूद श्रीकांत ने कभी भी अपने आप को असहाय महसूस नहीं किया, बल्कि अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने कठिन परिश्रम और साहस का परिचय दिया।
श्रीकांत का बचपन मुश्किलों से भरा रहा। उनके माता-पिता नेत्रहीन बेटे के लिए चिंतित रहते थे, क्योंकि गांव में न तो उपयुक्त शिक्षा के साधन थे और न ही समाज में ऐसी सोच कि श्रीकांत कुछ बड़ा कर पाएंगे। जब श्रीकांत ने स्कूल में दाखिला लिया, तो उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सामान्य स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों से सहयोग नहीं मिला। लेकिन श्रीकांत ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने आप को साबित करने के लिए ब्रेल लिपि में पढ़ाई की और सभी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
जब समय आया कि श्रीकांत को उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज में दाखिला लेना था, तब भी समाज की संकीर्ण सोच ने उन्हें चुनौती दी। आंध्र प्रदेश की कई प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों ने उन्हें नेत्रहीन होने के कारण प्रवेश देने से इंकार कर दिया। लेकिन श्रीकांत ने हिम्मत नहीं हारी और MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और इसके बाद उन्होंने ‘बोलेंट इंडस्ट्रीज’ नामक कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी न केवल आर्थिक दृष्टि से सफल है, बल्कि यह भी साबित करती है कि दिव्यांगता किसी भी इंसान के सपनों की राह में बाधा नहीं बन सकती।
श्रीकांत बोला की कहानी केवल एक प्रेरणा नहीं है, बल्कि यह उन लाखों लोगों के लिए एक संदेश भी है जो अपनी परिस्थितियों को अपनी सफलता की राह में बाधा मानते हैं। श्रीकांत ने साबित कर दिया कि कठिनाईयां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर इरादा मजबूत हो और मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘श्रीकांत’ इसी अद्भुत यात्रा को दर्शाती है और यह फिल्म न केवल मनोरंजन के लिए, बल्कि प्रेरणा के लिए भी देखी जानी चाहिए।
श्रीकांत बोला: अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प की प्रेरक कहानी
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