नई दिल्ली, 24 सितंबर 2024:
आजकल फिटनेस और शरीर को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही एक गंभीर मानसिक और शारीरिक बीमारी भी तेजी से फैल रही है – एनोरेक्सिया नर्वोसा। यह एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति जानबूझकर भूखा रहता है या बहुत कम खाता है ताकि उसका वजन कम हो सके। यह स्थिति न केवल शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है।
क्या है एनोरेक्सिया?
एनोरेक्सिया नर्वोसा एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर को अत्यधिक दुबला बनाने के प्रयास में अत्यधिक सीमित भोजन करता है। इसके शिकार लोग अपनी वास्तविक शारीरिक बनावट को नहीं पहचान पाते और लगातार यह सोचते रहते हैं कि वे मोटे हैं, भले ही वे असल में सामान्य से भी अधिक दुबले हों। इस विकार का शिकार अधिकतर किशोर और युवा होते हैं, खासकर लड़कियां।
एनोरेक्सिया के लक्षण
अत्यधिक वजन घटाने की कोशिश।
भोजन से बचने की आदत और खाने की इच्छा का अभाव।
अत्यधिक थकान और कमजोरी।
शारीरिक बनावट को लेकर हमेशा असंतोष।
तनाव, अवसाद और आत्म-समर्पण की भावना।
क्या है कारण?
एनोरेक्सिया के पीछे मुख्य रूप से मानसिक और सामाजिक दबाव होता है। आजकल सोशल मीडिया और फैशन की दुनिया ने “परफेक्ट बॉडी” की धारणा को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है कि लोग खुद को उसी पैमाने पर मापने लगते हैं। कई बार आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास की कमी भी इस बीमारी का कारण बनती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
एनोरेक्सिया के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। लंबे समय तक भूखे रहने से शरीर के अंगों को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं, हड्डियों का कमजोर होना, महिलाओं में मासिक धर्म रुकना, बाल झड़ना, और यहाँ तक कि मृत्यु तक हो सकती है।
उपचार और समाधान
इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए सही समय पर मानसिक और शारीरिक चिकित्सा की आवश्यकता होती है। थेरेपी, परामर्श और पोषण विशेषज्ञों की मदद से व्यक्ति को न केवल शारीरिक रूप से ठीक किया जाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया जाता है ताकि वह स्वस्थ जीवनशैली अपना सके।
एनोरेक्सिया नर्वोसा जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि हम शरीर के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें और समाज द्वारा निर्धारित “परफेक्ट” की परिभाषा को चुनौती दें।
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