देवताओं के स्वागत का पर्व: देव दीपावली

काशी की देव दीपावली  पर्व में मान्यता है कि देवता स्वयं धरती पर उतर आते हैं।

पंचगंगा घाट से शुरू हुआ अनोखा सफर

1985 में मंगला गौरी मंदिर के महंत नारायण गुरु के प्रयासों से इस पर्व को नया रूप मिला।

दशाश्वमेध घाट पर दीपों का महासागर

दशाश्वमेध घाट पर इस उत्सव की रौनक देखने लायक होती है। गंगा आरती के साथ ही लाखों दीप जलाए जाते हैं, और भक्तों का उत्साह देखने लायक होता है।

वैश्विक मंच पर चमकी काशी की देव दीपावली

हर साल देश-विदेश से लोग इसकी भव्यता को देखने काशी आते हैं और इसकी आभा को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं।

गंगा के तट पर रोशनी का जादू

गंगा के तट पर जलते हुए दीप और उनकी परछाइयों में प्रतिबिंबित होती आस्था।