कोलकाता, 4 सितंबर 2024: पश्चिम बंगाल की विधानसभा ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक नए ‘एंटी-रेप’ बिल को पास किया, जिसमें बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इस बिल का नाम ‘पश्चिम बंगाल यौन उत्पीड़न (संशोधन) विधेयक, 2024’ रखा गया है, और इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया। इस कानून के पारित होने के साथ ही पश्चिम बंगाल देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया है।
बिल का उद्देश्य और महत्त्व
इस नए कानून का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में कमी लाना और न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और यौन अपराधियों के खिलाफ कठोर संदेश भेजना है। उन्होंने कहा, “यह कानून हमारी सरकार की महिलाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमें उम्मीद है कि इस कानून के लागू होने के बाद राज्य में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में गिरावट आएगी।”
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
नए कानून के तहत, बलात्कार के मामलों में दोषी पाए गए व्यक्ति को सीधे मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, यौन उत्पीड़न के अन्य गंभीर मामलों में आजीवन कारावास और कठोर दंड भी दिए जा सकते हैं। न्यायालयों को भी निर्देश दिया गया है कि वे इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाएं ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
इस विधेयक में पीड़िता के लिए मुआवजे का प्रावधान भी शामिल किया गया है। यदि दोषी को मौत की सजा दी जाती है, तो पीड़िता को राज्य सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, इस विधेयक में पीड़िता की पहचान की सुरक्षा के लिए भी सख्त नियम बनाए गए हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
विधेयक के पारित होने के बाद, राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस कानून की सराहना की है और इसे महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, “यह कानून पश्चिम बंगाल को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
वहीं, विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर अपनी चिंता जताई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता दिलीप घोष ने कहा, “हम महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास का समर्थन करते हैं, लेकिन मौत की सजा का प्रावधान अत्यधिक हो सकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून का दुरुपयोग न हो।”
सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस विधेयक पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने इसे एक कठोर लेकिन आवश्यक कदम बताया है, जबकि अन्य ने मौत की सजा के प्रावधान पर सवाल उठाए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने इस विधेयक की प्रशंसा की है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इस कानून को लागू करने में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी होगी।
आगे की चुनौतियां
इस नए कानून के प्रभावी कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। राज्य की न्यायिक प्रणाली को यौन अपराधों के मामलों में तेजी से निर्णय लेने के लिए सुदृढ़ किया जाना होगा। इसके अलावा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी इस कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सख्त कानून बनाने से यौन अपराधों में कमी नहीं आएगी, बल्कि इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है। सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के लिए अन्य उपायों पर भी ध्यान देना होगा, जैसे कि पुलिस बल को संवेदनशील बनाना, पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन स्थापित करना और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना।
पश्चिम बंगाल ने ‘एंटी-रेप’ बिल पास किया, बलात्कार के दोषियों को मिलेगी मौत की सजा
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