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Reading: बाबरनामा और मनु स्मृति पढ़ाए जाने को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी में बवाल, जानें क्या है छात्रों की मांग
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बाबरनामा और मनु स्मृति पढ़ाए जाने को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी में बवाल, जानें क्या है छात्रों की मांग

Kripa Kawde
Last updated: March 4, 2025 3:11 pm
Kripa Kawde 6 months ago
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दिल्ली, 04 मार्च 2025:

दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति और बाबरनामा को सिलेबस में शामिल करने को लेकर विरोध देखने को मिल रहा है. कुछ छात्र इसके समर्थन में हैं तो वहीं कुछ इसका विरोध कर रहे हैं.

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के कुलपति योगेश सिंह ने मंगलवार को स्नातक इतिहास (ऑनर्स) के पाठ्यक्रम में प्राचीन संस्कृत ग्रंथ ‘मनुस्मृति’ को शामिल करने पर विरोध जताया और कहा कि विश्वविद्यालय समाज में विभाजन को बढ़ावा देने वाले किसी भी सामग्री को स्वीकार नहीं करेगा. इसके साथ ही कई छात्र संगठनों समेत स्टूडेंट्स ने भी इसको लेकर विरोध शुरू कर दिया है.

इतिहास विभाग की संयुक्त पाठ्यक्रम समिति द्वारा 19 फरवरी को ‘मनुस्मृति’ और बाबर के व्यक्तिगत संस्मरण ‘तूजुक-ए-बाबुरी’ (बाबरनामा) को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया गया था. हालांकि, यह प्रस्ताव अभी तक DU की एकेडमिक काउंसिल और एक्जीक्यूटिव काउंसिल से मंजूरी नहीं मिली है.

आपातकालीन अधिकारों का कुलपति ने किया इस्तेमाल

कुलपति सिंह ने कहा, ‘मैं अपने आपातकालीन अधिकारों का इस्तेमाल करूंगा और इसे अगले एकेडमिक काउंसिल में नहीं रखवाऊंगा. हम इसे वहां जाने से पहले ही वापस ले लेंगे. हम पाठ्यक्रम में इन सुझावों के लिए वैकल्पिक सामग्री पर विचार करेंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का पालन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और ‘विकसित भारत’ में योगदान करने का हमारा एकमात्र उद्देश्य है. यह 21वीं सदी है, और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र ऐसे पिछड़े विषय नहीं पढ़ेंगे.’

पिछले साल भी गरमाया था ये मुद्दा

पिछले साल जुलाई में, जब दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों ने ‘मनुस्मृति’ को स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव पर विरोध किया था, तो सिंह ने कहा था कि इसे एकेडमिक काउंसिल के सामने प्रस्तुत करने से पहले ही हटा दिया जाएगा.

‘मेरा रुख वही रहेगा जैसा पिछले बार था. हम ऐसे विषय नहीं पढ़ाएंगे जो हमारे समाज को विभाजित करें. हम 21वीं सदी में जी रहे हैं,’ सिंह ने कहा, यह संकेत करते हुए कि पिछले साल कानून विभाग में ‘मनुस्मृति’ को पाठ्यक्रम में शामिल करने का जो प्रयास हुआ था, वह भी वापस ले लिया गया था.

इसके बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून विभाग की डीन प्रोफेसर अंजू वली टिकू ने कहा था, “मनुस्मृति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय दृष्टिकोण को सीखने में शामिल किया गया है. यह यूनिट एक विश्लेषणात्मक यूनिट है, इसलिए छात्र को और अधिक दृष्टिकोण समझने के लिए इसे शामिल किया गया.” इसके बाद, सिंह ने एक समीक्षा बैठक आयोजित की और प्रस्ताव को वापस ले लिया.

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