अंशुल मौर्य
वाराणसी, 7 मार्च 2025:
भारत नवनिर्माण समिति की मेजबानी में आयोजित बनारस लिट्फेस्ट के तीसरे संस्करण का भव्य उद्घाटन वाराणसी के होटल ताज के दरबार हॉल में हुआ। इस तीन दिवसीय साहित्यिक महोत्सव का शुभारंभ असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल, भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन एनपी सिंह और संयुक्त राष्ट्रसंघ की पूर्व संयुक्त महासचिव लक्ष्मी पुरी ने दीप प्रज्वलन के साथ किया।
फेस्टिवल में देश के प्रमुख साहित्यकार, लेखक और विद्वान एक मंच पर एकत्र हुए, जिसका उद्देश्य साहित्यिक नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है। इस अवसर पर वक्ताओं ने साहित्य की महत्ता को रेखांकित करते हुए इसे संस्कृति और सभ्यता का दर्पण बताया। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बनारस लिट्फेस्ट ने कम समय में अपनी अनूठी पहचान बनाई है, और यह आयोजन विश्व में साहित्य, कला, संगीत और आध्यात्म की भारतीय परंपरा को सशक्त करेगा।
राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने काशी की साहित्यिक विरासत का सम्मान करते हुए कहा कि यह नगरी आधुनिक हिंदी की जन्मस्थली रही है। वहीं, असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने काशी को साहित्य की नगरी बताते हुए कहा कि यहाँ अब भी कई प्राचीन पांडुलिपियाँ संरक्षित हैं, जिन्हें पुस्तकों का रूप दिए जाने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी ने कहा कि बनारस भारतीय सभ्यता का केंद्र रहा है और इस लिट्फेस्ट के माध्यम से नए साहित्यिक इतिहास का सृजन हो रहा है। उद्घाटन सत्र में राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल, साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव और भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन एनपी सिंह ने भी विचार व्यक्त किए।
बनारस लिट्फेस्ट के तहत कविता पाठ, कहानी पाठ, नाटक पाठ और साहित्यिक विचार-विमर्श जैसे विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया, जिससे साहित्य प्रेमियों को देश के दिग्गज साहित्यकारों से संवाद करने का सुनहरा अवसर मिला। आयोजकों ने इसे साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक मंच बताया, जहां साहित्य, संस्कृति और समाज से जुड़े विविध विषयों पर विचार-विमर्श हो रहा है।