
मथुरा 15 मार्च 2025,
उत्तर प्रदेश के मथुरा के फालैन गांव में होलिका दहन की रात 5200 साल पुरानी परंपरा एक बार फिर जीवंत हो गई, जब संजू पंडा ने जलती हुई होलिका से दौड़कर पार किया। 30 फीट ऊंची लपटों के बीच से गुजरते हुए उनका शरीर पूरी तरह सुरक्षित रहा। इस ऐतिहासिक परंपरा को देखने के लिए करीब 80 हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे, जिन्होंने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। संजू पंडा ने वसंत पंचमी से लेकर होलिका दहन तक विशेष अनुष्ठान और व्रत किया था, जिसमें उन्होंने दिन में सिर्फ एक बार फलाहार लिया और कठोर नियमों का पालन किया।
होलिका की अग्नि प्रज्वलित होते ही संजू पंडा ने दीपक की लौ को देखा और जैसे ही लौ ठंडी हुई, उन्होंने इशारा किया और जलती हुई होलिका में प्रवेश कर गए। इसके बाद उन्होंने कुछ सेकंड में ही बिना झुलसे सुरक्षित बाहर आ गए। यह परंपरा पहले संजू के बड़े भाई मोनू पंडा निभाते आए थे, जो पांच बार जलती होलिका से गुजर चुके हैं। संजू का कहना है कि जब वे अग्नि से गुजर रहे थे, तो उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि स्वयं भक्त प्रह्लाद उनके साथ चल रहे हैं।
इस अद्भुत परंपरा को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आए थे, जिन्होंने इसे चमत्कारी और सनातन धर्म की शक्ति का जीवंत उदाहरण बताया। फालैन गांव को प्रह्लाद नगरी भी कहा जाता है, और यह स्थान भक्त प्रह्लाद के तपस्या स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पंडा परिवार हर साल होलिका दहन पर एक सदस्य को जलती होलिका से पार करने का साहसिक कार्य सौंपता है। यह अनुष्ठान सनातन संस्कृति और आस्था की जीवंत विरासत है, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया जा रहा है।