गोरखपुर, 15 मार्च 2025:
मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (एमपी शिक्षा परिषद) की शैक्षणिक संस्थाओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के प्रावधानों को शत-प्रतिशत लागू कर प्रदेश व देश में रोल मॉडल के रूप में खुद को स्थापित करना चाहिए। सीएम ने परिषद की संस्थाओं की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि सभी संस्थाएं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास पर विशेष ध्यान दें।
मुख्यमंत्री शनिवार को गोरखनाथ मंदिर के बैठक कक्ष में एमपी शिक्षा परिषद की वार्षिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में परिषद से संबद्ध सभी संस्थाओं के प्रमुखों ने भाग लिया।
राष्ट्रीयता और सामाजिक सहभागिता की नींव पर आधारित शिक्षा
सीएम योगी ने कहा कि एमपी शिक्षा परिषद सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है। उन्होंने कहा कि परिषद ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक राष्ट्रीयता की भावना को पोषित किया है और हमेशा समाज के हित में कार्य करती रही है।

परिषद की संस्थाओं के लिए निर्देश
-अनुशासित परिसर संस्कृति को प्राथमिकता देना।
-शोध और नवाचार पर निरंतर ध्यान देना।
-पुस्तकालयों और प्रयोगशालाओं को आधुनिक बनाना।
-ई-लाइब्रेरी और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना।
-शिक्षकों को नवीनतम प्रशिक्षण से जोड़ना।
-समाज के उत्थान के लिए सहभागिता बढ़ाना।
उन्होंने कहा कि परिषद की संस्थाओं को समाज के बीच जाकर चिकित्सा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वावलंबन के लिए अपने प्रयासों को और विस्तृत करने की जरूरत है।
शताब्दी वर्ष 2032 की भव्य तैयारी के निर्देश
सीएम योगी ने एमपी शिक्षा परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 को ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए अभी से तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि परिषद को अपने संस्थापक ब्राह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और विस्तारक राष्ट्रसंत ब्राह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के आदर्शों पर चलते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचना होगा। बैठक में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यूपी सिंह, विभिन्न संस्थानों के प्रमुख, कुलसचिव, प्राचार्य, प्रधानाचार्य और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।