लखनऊ, 13 जुलाई 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में फार्माकोलॉजी विभाग के निलंबित अध्यक्ष डॉ. आमोद कुमार सचान को सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले बर्खास्त कर दिया गया है। केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद की अध्यक्षता में आयोजित कार्य परिषद की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया।
प्रो. सचान पर निजी प्रैक्टिस करने, आय से अधिक संपत्ति रखने और निजी अस्पताल व कॉलेजों से संबंध रखने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह के अनुसार हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को 15 जुलाई तक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जिसके चलते यह कदम उठाया गया। प्रो. सचान की सेवानिवृत्ति 15 जुलाई को निर्धारित थी, लेकिन कार्य परिषद ने उन्हें पहले ही बर्खास्त कर दिया। केजीएमयू के इतिहास में यह पहला मामला है जब किसी शिक्षक को निजी प्रैक्टिस के आरोप में सेवा से हटाया गया है।
शेखर अस्पताल और हिंद मेडिकल कॉलेज से संबंध
चार जुलाई को हुई कार्य परिषद की बैठक के बाद प्रो. सचान को 180 पृष्ठों का नोटिस जारी कर छह दिन में जवाब देने को कहा गया था। उन्होंने समय की कमी का हवाला देकर अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिसे कार्य परिषद ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद 10 जुलाई और फिर 13 जुलाई को हुई बैठक में उन्हें बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। ईडी द्वारा भी उनके खिलाफ संपत्ति की जांच की गई है। बताया जा रहा है कि प्रो. सचान का लखनऊ के इंदिरानगर स्थित एक निजी अस्पताल (शेखर अस्पताल), मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज और फार्मा कॉलेजों ( हिंद मेडिकल कॉलेज) से भी संबंध रहा है।
प्रो. आमोद कुमार सचान ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि मेरे खिलाफ की गई शिकायतें झूठी हैं। मुझे बदनाम करने के लिए यह कदम सेवानिवृत्ति से ठीक पहले उठाया गया है। 180 पृष्ठों के नोटिस का जवाब तीन दिन में देना संभव नहीं था। मैं इस फैसले के खिलाफ न्यायालय में अपील करूंगा।