
तिरुवनंतपुरम, 15 जुलाई 2025 –
केरल हाईकोर्ट ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के उस फैसले को अवैध करार दिया है, जिसमें उन्होंने दो विश्वविद्यालयों में अस्थायी कुलपति (VC) की नियुक्ति बिना प्रक्रिया के कर दी थी। अदालत ने इसे विश्वविद्यालय अधिनियम और UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के नियमों का सीधा उल्लंघन माना है।
राज्यपाल ने एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (KTU) में डॉ. के. शिवप्रसाद और केरल डिजिटल यूनिवर्सिटी में डॉ. सीज़ा थॉमस को अंतरिम वीसी नियुक्त किया था। अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने “कुलाधिपति” की भूमिका में रहते हुए नियुक्ति प्रक्रिया के स्थापित नियमों को दरकिनार किया, जबकि विश्वविद्यालय कानून और UGC विनियमों के तहत अस्थायी नियुक्ति के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित है।
राज्य सरकार ने इस नियुक्ति के खिलाफ याचिका दायर करते हुए कहा कि कुलपति पदों की नियुक्ति में सरकार से अनिवार्य परामर्श और अनुशंसा जरूरी है, जिसे नजरअंदाज किया गया। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा और नियुक्तियों को असंवैधानिक घोषित किया।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि UGC रेगुलेशन की धारा 7.3 के तहत कुलपति की नियुक्ति केवल उन्हीं मानकों पर हो सकती है, जो UGC द्वारा तय किए गए हैं—चाहे वह नियमित नियुक्ति हो या अस्थायी। संविधान के अनुच्छेद 254, जो राज्य और केंद्र के कानूनों की असंगति पर आधारित है, इस मामले में लागू नहीं होता।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्यपाल दोनों को निर्देश दिया है कि वे विश्वविद्यालयों में रिक्त VC पदों को नियमों के अनुरूप पारदर्शी प्रक्रिया से भरें, जिससे उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता और छात्रों के हितों की रक्षा हो सके।
यह फैसला न केवल केरल बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है, जहां राज्यपाल उच्च शैक्षणिक पदों पर सीधे हस्तक्षेप करते रहे हैं।