
नई दिल्ली, 15 मई 2025:
सुप्रीम कोर्ट ने आज 1995 के वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने मामले की विस्तृत सुनवाई की। केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह वक्फ बाय यूजर समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करेगी तथा केंद्रीय वक्फ काउंसिल और बोर्डों में कोई नियुक्ति भी नहीं करेगी। केंद्र ने यह भी कहा कि बिना सुनवाई के कानून पर कोई रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने वकील विष्णु जैन से कहा कि अंतरिम राहत के लिए जल्दबाजी न करें। वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता और वकील कल्याण बनर्जी ने बहस में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी, जिस पर CJI ने पूछा कि वे सांसद के रूप में बोलेंगे या वकील के रूप में। उन्होंने कहा कि लाइव प्रसारण के चलते किसी को बहस से रोका नहीं जाएगा।
अदालत ने यह भी साफ किया कि अगली सुनवाई 20 मई को होगी और इस दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से वक्फ कानून 1995 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा। इस सुनवाई में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने संशोधन के विरोध में बहस की और कोर्ट को नोट्स सौंपने का आश्वासन दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे सोमवार तक अपना जवाब दाखिल करेंगे।
वक्फ कानून को लेकर यह मामला संवेदनशील और विवादास्पद रहा है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को लेकर बहस हो रही है। केंद्र सरकार का आश्वासन और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस विवाद के भविष्य को प्रभावित करेगा। अब कोर्ट की अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं, जिसमें इस कानून की वैधता पर अंतिम फैसला सुनाया जा सकता है।
यह मामला धार्मिक संपत्तियों और उनकी देखरेख से जुड़ा है, जो देश के सामाजिक और धार्मिक माहौल को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही इस पर राजनीतिक और सामाजिक दबाव बनता जा रहा है, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई को निष्पक्ष और खुला रखने की प्रतिबद्धता दिखाई है।