अमित मिश्र
प्रयागराज, 22 जुलाई 2025:
यूपी के प्रयागराज स्थित भगवान शिव का पवित्र स्थान कोटेश्वर धाम लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। सावन के पावन महीने में यहां सोमवार के साथ हर दिन हजारों की संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं। कांवरिए गंगा जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने ब्रम्हहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए एक करोड़ शिवलिंग की स्थापना की और एक प्रमुख शिवलिंग में प्राणप्रतिष्ठा की। यही स्थान कोटेश्वर धाम बन गया। यहां एक शिवलिंग की पूजा कर एक करोड़ शिवलिंग की पूजा का पुण्य मिलता है।
गंगा के शांत किनारे पर शिव कुटी क्षेत्र में बसे कोटेश्वर धाम का वातावरण दिव्य और आध्यात्मिक होता है। यहां पहुंचते ही भक्तों को एक अलग ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है। मंदिर परिसर में रुद्राभिषेक, रात्रि आरती और सावन विशेष पूजा का आयोजन पूरे महीने चलता है। पौराणिक मान्यता ये है कि जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया, तो उन पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया। इस दोष से मुक्त होने के लिए वे मुनि भारद्वाज के आश्रम प्रयागराज आए।
मुनि ने श्रीराम से कहा कि ब्रह्म दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्हें एक करोड़ शिवलिंगों की स्थापना करनी होगी और उन पर विधिवत जलाभिषेक करना होगा। इस कठिन तपस्या को संभव बनाने के लिए भगवान श्रीराम ने गंगा के तट पर आकर बालू (रेत) से एक करोड़ शिवलिंग बनाए। उन्हीं में से एक प्रमुख शिवलिंग पर उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा कर उसे स्थायी रूप से स्थापित किया। वही शिवलिंग आज कोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, और उस स्थान को कोटेश्वर धाम कहा जाता है।
मंदिर के पुजारी राजकुमार तिवारी बताते हैं कि यह कोई साधारण मंदिर नहीं है कोटेश्वर महादेव में एक ही शिवलिंग में एक करोड़ शिवलिंगों की ऊर्जा समाहित मानी जाती है। भक्त जब यहां जल चढ़ाते हैं तो ऐसा माना जाता है कि वे एक करोड़ शिवलिंगों का जलाभिषेक करते हैं। पुजारी गणेश तिवारी कहते हैं, सावन में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं।