नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025:
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत पर दबाव बनाते हुए रूसी तेल खरीदने पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। हालांकि, भारत के लिए रूस से तेल आयात कम करना या बंद करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इससे उसकी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर भारत रूसी तेल से दूरी बनाता है तो ग्रास रिफाइनरी मार्जिन (GRM) में 1 से 1.5 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आ सकती है। वर्तमान में भारत अपनी कुल कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 30-40% हिस्सा रूस से खरीद कर पूरा करता है। वित्त वर्ष 2023 से पहले रूस का योगदान केवल 1.5% था, जो अब 33-35% तक पहुंच गया है।
रूसी तेल पर मिलने वाली 3-4 डॉलर प्रति बैरल की छूट के कारण भारत की तेल कंपनियों को उल्लेखनीय लाभ हुआ है। यदि यह छूट बंद होती है, तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के EBITDA में 8-10% और MRPL व CPCL के मुनाफे में 20-25% तक की गिरावट आ सकती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज पर भी करीब 2% तक नकारात्मक असर हो सकता है।
इसके अलावा, अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया और चीन या अन्य देशों ने इसकी पूर्ति नहीं की, तो वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। चीन पहले ही 2-2.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन रूसी तेल खरीदता है, जबकि उसकी कुल मांग 16.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन है।
ट्रंप के इस दबाव का एक और बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि वे रूस को यूक्रेन युद्ध पर समझौते के लिए मजबूर करना चाहते हैं। भारत को इस मामले में संतुलन साधते हुए अपनी ऊर्जा जरूरतों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच सही फैसला लेना होगा। फिलहाल, भारत का झुकाव अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने की ओर दिखाई देता है।