राम दशरथ यादव
लखनऊ, 29 अक्टूबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के लाखों किसानों को खाद और बीज उपलब्ध कराने वाली साधन सहकारी समितियों की हालत चिंताजनक हो गई है। जिले की 22 समितियों पर लंबे समय से ताला लटका हुआ है, जिससे किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन समितियों को पुनः सक्रिय करने के बजाय प्रशासन ने उन्हें 19 सक्रिय समितियों से संबद्ध करने का निर्णय लिया है।
सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारी समितियां वैशाली सिंह द्वारा 24 अक्टूबर को जारी आदेश में कहा गया है कि बंद समितियों को पास की सक्रिय समितियों से जोड़ दिया जाए। सभी सचिव अपने-अपने समिति कार्यालयों के बाहर संबंधित गांवों के नाम अंकित करवाएं।
The ho halla को मिली जानकारी के अनुसार गोसाईगंज क्षेत्र की सलेमपुर रहमत नगर समिति को जहांगीरपुर समिति से, बीकेटी क्षेत्र की भगौतापुर समिति को इटौंजा समिति से, सरोजनी नगर क्षेत्र की देवामऊ समिति को परेहटा समिति से, मलिहाबाद क्षेत्र की अहमदाबाद कटौली समिति को रहीमाबाद समिति से संबद्ध किया गया है।

इसी तरह अन्य ब्लॉकों में भी कई निष्क्रिय समितियों को सक्रिय समितियों में समाहित किया गया है।
हालांकि इस निर्णय से किसान और स्थानीय पदाधिकारी असंतुष्ट दिख रहे हैं। सौनई कजेहरा समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार यादव ‘राजू’ ने कहा, “हमारी समिति को पहले ही पर्याप्त खाद नहीं मिल पाती थी। अब सरोजनी नगर की एक और समिति अटैच कर दी गई है, जिससे किसानों को खाद की उपलब्धता में और परेशानी बढ़ेगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि कई समितियों में सचिवों के पद खाली हैं। नए सदस्य बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसी बीच बस्तिया गांव के प्रधान ने कहा कि वे अपनी बंद समिति को फिर से चालू करवाने के लिए प्रयासरत हैं।
प्रशासनिक स्तर पर यह कदम व्यवस्था सुधार के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन किसानों के लिए यह राहत के बजाय नई चुनौती बनता दिख रहा है।






