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क्यों फ्लिपकार्ट से स्विगी तक 26 प्लेटफॉर्म्स ने एक साथ हटाए डार्क पैटर्न? जानिए चौंकाने वाली असली वजह

26 बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने अचानक अपनी दुकानों से सारे डार्क पैटर्न क्यों हटाए? फ्लिपकार्ट से लेकर स्विगी तक सबने मिलकर ग्राहकों के लिए ऐसा क्या बदल दिया है कि अब शॉपिंग पहले से ज्यादा क्लियर और ट्रिक फ्री होने वाली है।

बिजनेस डेस्क, 21 नवंबर 2025 :

देश के बड़े ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स ने ग्राहकों को एक बड़ी राहत दी है। अब ये कंपनियां अपने ऐप और वेबसाइट पर ऐसे ट्रिक्स इस्तेमाल नहीं करेंगी जो यूजर्स को गुमराह करते हैं। फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, जोमेटो, स्विगी जैसी 26 कंपनियों ने खुद को डार्क पैटर्न फ्री घोषित कर दिया है। इन सभी कंपनियों ने इंटरनल या थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने के बाद Central Consumer Protection Authority यानी CCPA को सेल्फ डिक्लेरेशन लेटर सौंपा है। इतना ही नहीं, इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर ये डिक्लेरेशन अपलोड भी कर दिया है ताकि कंज्यूमर्स खुद चेक कर सकें।

क्या होते हैं डार्क पैटर्न्स?

डार्क पैटर्न्स ऐसी ट्रिक्स होती हैं जो ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान ग्राहकों को बिना बताए प्रभावित करती हैं। जैसे अचानक लिखा दिखना कि स्टॉक जल्दी खत्म हो जाएगा इसलिए तुरंत खरीदें या फिर कार्ट में बिना पूछे कोई और प्रोडक्ट जोड़ देना।

साल 2023 में इनसे बचाने के लिए गाइडलाइंस बनाई गईं थीं जिनमें 13 तरह के डार्क पैटर्न्स को पूरी तरह बैन किया गया है। इनमें फॉल्स अर्जेंसी, बास्केट स्नीकिंग, कन्फर्म शेमिंग, फोर्स्ड एक्शन, सब्सक्रिप्शन ट्रैप, इंटरफेस इंटरफियरेंस, बेट एंड स्विच, ड्रिप प्राइसिंग, डिस्गाइज्ड ऐड्स, नेगिंग, ट्रिक वर्डिंग, SAAS बिलिंग और रोग मैलवेयर शामिल हैं। इनका इस्तेमाल अक्सर कंज्यूमर्स पर दबाव डालने या उन्हें अनचाही खरीदारी की तरफ धकेलने के लिए किया जाता था। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत ये गाइडलाइंस नवंबर 2023 से लागू हैं।

कौन सी कंपनियां हुईं डार्क पैटर्न फ्री?

CCPA के पास आए डिक्लेरेशन लेटर्स के अनुसार कुल 26 ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने पुष्टि की है कि उनकी वेबसाइट और ऐप पर अब कोई डार्क पैटर्न नहीं है। ये प्लेटफॉर्म्स ग्रॉसरी, फूड डिलीवरी, फार्मेसी, फैशन और ट्रैवल जैसे सेगमेंट से आते हैं।

सरकार का रोल क्या था?

कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट ने जून 2025 में एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें सभी ई कॉमर्स कंपनियों को तीन महीने के अंदर सेल्फ ऑडिट करने और अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया था। नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन की मदद से सोशल मीडिया कैंपेन, वीडियो और वर्कशॉप भी चलाए गए ताकि ग्राहक डार्क पैटर्न्स को पहचान सकें और शिकायत कर सकें।
सरकार ने इसे डिजिटल कंज्यूमर सेफ्टी का महत्वपूर्ण कदम बताया है और बाकी कंपनियों से भी इसे अपनाने की अपील की है। अगर कोई कंपनी तय समय पर डिक्लेरेशन नहीं देती है तो उसके खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है।

कंज्यूमर्स को क्या फायदा मिलेगा

अब जब कंपनियां खुद आगे बढ़कर डार्क पैटर्न हटाने का वादा कर चुकी हैं तो ऑनलाइन शॉपिंग अनुभव पहले से अधिक साफ और सुरक्षित होगा। आने वाले समय में सरकार इसे और सख्ती से लागू कर सकती है जिससे यूजर्स को छुपे हुए चार्जेस, फेक अर्जेंसी और बिना पूछे सब्सक्रिप्शन जैसे झंझटों से राहत मिलेगी।

डिपार्टमेंट का कहना है कि ये अभियान डिजिटल मार्केट को भरोसेमंद बनाएगा। साथ ही कंज्यूमर्स को आगे भी जानकारी दी जाएगी कि डार्क पैटर्न्स क्या होते हैं और इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है।
लंबे समय में ये कदम ई कॉमर्स सेक्टर को ज्यादा पारदर्शी और कंज्यूमर फ्रेंडली बनाएगा।

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