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लघु उद्योग भारती बोला… दिल्ली में नहीं चाहिए उद्योग व रोजगार विरोधी सरकार

नई दिल्ली, 1 फरवरी 2025:

लघु उद्योगों के प्रति दिल्ली सरकार की उपेक्षा से उद्यमियों में रोष है। इस मुद्दे पर दिल्ली के राजस्व और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले दिल्ली के सूक्ष्म और लघु उद्यमियों के प्रतिनिधियों ने आक्रोश जाहिर किया है।
दरअसल दिल्ली के लघु उद्योग भारती संगठन के पदाधिकारी दिल्ली के प्रेस क्लब में मीडिया से रूबरू हुए। इस दौरान वहां मौजूद उद्योग प्रतिनिधियों में दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनैतिक पार्टियों के चुनावी घोषणापत्रों में उद्यमियों के मुद्दों को स्थान न मिलने पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

सरकार ऐसी हो जो औद्योगिक विकास को दे बढ़ावा, प्रदूषण से दिलाये राहत

उद्योग प्रतिनिधियों ने एक स्वर में दिल्ली में ऐसी सरकार लाने का आह्वान किया, जो दिल्ली के उद्यमियों की समस्याओं को समझकर दिल्ली में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनाकर उन्हें क्रियान्वित करे। बिजली के अतार्किक रूप से महंगे बिलों से राहत दिलाये और औद्योगिक क्षेत्रों सहित पूरी दिल्ली के आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ बनाकर बढ़ते प्रदूषण से दिल्ली को राहत दिलाये।

महंगी औद्योगिक बिजली से पलायन को मजबूर हुए उद्यमी

संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा दिल्ली में देश में सबसे महंगी औद्योगिक बिजली के लिए वर्तमान दिल्ली सरकार दोषी है। सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने का बोझ भी बिजली के बिलों में शामिल किया गया है। इसके कारण दिल्ली में औद्योगिक बिजली के बिलों में प्रति यूनिट प्रभावी दर सभी पड़ोसी राज्यों की तुलना में दुगुनी हो गई है। इस कारण दिल्ली के छोटे उद्यमी व्यापारिक प्रतिस्पर्धा से बाहर होकर दिल्ली से पलायन कर रहे हैं या बन्द हो रहे हैं।

उद्योग से अधिक जेलों पर किया गया खर्च

न्यूनतम 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देने और राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले उद्योग दिल्ली सरकार की प्राथमिकता में कहीं नही हैं। यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि वर्ष 2023 -24 में दिल्ली सरकार ने इस क्षेत्र पर मात्र 110 करोड़ खर्च किये, जबकि दिल्ली की जेलों पर ही 129 करोड़ रुपये खर्च किये गए।

फ्री होल्ड की मांग व भूजल दोहन की अनुमति लटकी

दिल्ली के औद्योगिक भूखण्डों को लीज होल्ड से फ्रीहोल्ड करने की मांग लटकी पड़ी है। उद्यमियों को अपनी भूमि का मालिकाना अधिकार ना मिलना दिल्ली के औद्योगिक विकास को रोक रहा है। यदि दिल्ली की औद्योगिक सम्पत्तियां फ्री होल्ड हो जाये तो दिल्ली में अनेक प्रकार के नए उद्योग लगने की अपार संभावनाएं है। दिल्ली जल बोर्ड दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में पर्याप्त पानी उपलब्ध नही करा पा रहा है। उद्योगों को पानी की कमी से राहत देने के लिये भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा MSME को 10000 लीटर भूजल दोहन की अनुमति दिल्ली सरकार ने अभी तक लागू नही की है।

देश की रैंकिंग सुधरी, दिल्ली की गिरी

आज जब पिछले 10 वर्षों में देश की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, दिल्ली में ये रैंकिंग निरन्तर गिर रही है। आज उत्तरप्रदेश इस मामले में दिल्ली से कँही आगे है। इसका कारण दिल्ली में अनेकों प्रकार के अनावश्यक लाइसेंस और अनुमतियां लेने की प्रकिया का पारदर्शी ना होना है।
सभी ने एक स्वर में कहा कि औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास दिल्ली सरकार की प्राथमिकता में ही नही है तो हमें भी ऐसी सरकार नहीं चाहिए।

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