Bihar

बिहार: सियासी समीकरण बिगाड़ने AIMIM की तैयारी! उम्मीदवार उतारने के लिए बना रही हैदराबादी प्लान

पटना, 24 फरवरी 2025

स्वाद के शौकिनों के लिए हैदराबादी बिरयानी का बहुत क्रेज है। लोग बहुत चाव से इसे खाते हैं। अब बिहार की राजनीति में असद्दुदीन औवैसी की एआइएमआइएम हैदराबादी प्लान बना रही है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानि एआइएमआइएम बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारी में जुटी हुई है। पार्टी जोर शोर से अपनी चुनावी रणनीति को लेकर कार्य कर ही है। लेकिन इसी बीच ऐसी भी जानकारी मिल रही है, जिसके अनुसार इस चुनाव में एआइएमआइएम कुछ ऐसे कदम को भी उठाने की तैयारी कर रही है जो बिहार में पार्टी की तरफ से संभवत: पहली बार होगा।

कई सीटों पर पार्टी की नजर
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार पार्टी पूरे बिहार में अपनी उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी में है। इसके लिए रणनीति बनायी जा रही है। पार्टी की नजर सीमांचल में तो है ही लेकिन इसके अलावा वह राज्य के अन्य हिस्सों में भी अपने उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। पार्टी इसके लिए अपने राज्य स्तरीय नेताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं से भी बात कर रही है।

सौ के करीब सीटों पर उम्मीदवार
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एआइएमआइएम इस बार कम से कम 50 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतार सकती है। हालांकि उसकी विशेष नजर सीमांचल के इलाकों पर है। जहां पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अब तक का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। एआइएमआइएम की इस जीत ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों के साथ ही राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया था।

ये है हैदराबादी प्लान
दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम हैदराबानी प्लान के तहत रणनीति बना रही है। पार्टी ने हैदराबाद में मेयर पद के लिए 1986 में एक चुनावी दांव चला था। वो दांव कामयाब रहा। तब पार्टी की तरफ से कालरा प्रकाश राव मेयर बने थे। इसके बाद पार्टी की तरफ से अनुमुला सत्यनारायण को 1987 में तथा 1989 में अल्लामपल्ली पोचैया मेयर बने। हालांकि इसके बाद दो बार मीर जुल्फिकार अली और एक बार मोहम्मद मुबीन मेयर बने। एआइएमआइएम ने लगातार तीन मेयर हिंदू काे बनाया था। संदेश देने की कोशिश यही थी कि पार्टी सबके लिए है। बिहार में इसी प्लान के तहत उम्मीदवार उतारने की तैयारी है। जहां-जहां संगठन मजबूत है, पार्टी वहां चुनाव लडेगी।

अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में हिंदू प्रत्याशी
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हसन कहते हैं, उनकी पार्टी पर यह टैग हमेशा लगता है कि वह केवल अल्पसंख्यकों की ही बात करती है और उसकी ही पार्टी है लेकिन ऐसा नहीं है। हम इस धारणा को बदल देंगे। सीमांचल के अल्पसंख्यक बहुल किसी एक सीट से हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य सचिव और सदस्यता अभियान के प्रभारी राणा रणजीत सिंह चुनावी मैदान में उतरेंगे। राणा रणजीत सिंह को पार्टी या तो बहादुरगंज या फिर बलरामपुर सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है।

जितने हिंदू उतने ही मुसलमान
इधर पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एआइएमआइएम इस विधानसभा चुनाव में जितनी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी में है, उतनी ही सीटों पर वह गैर मुस्लिम उम्मीदवारों को भी उतारेगी। पार्टी यह कह रही है कि हमारे लिए हिंदू कोई अछूता नहीं है। जब राजद, बीजेपी, कांग्रेस में हिंदू नेता कार्यकर्ता हैं तो एआइएमआइएम में भी हिंदू का स्वागत है।

विधानसभा उपचुनाव में हिंदू प्रत्याशी
बिहार में विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में भी पार्टी ने सबको चौंकाया था। पार्टी ने बेलागंज से जहां मोहम्मद जामिन अली को अपना उम्मीदवार बनाया था वहीं इमामगंज सुरक्षित सीट से कंचन पासवान को प्रत्याशी बनाया था। इसी प्रकार शिवहर लोकसभा सीट से राणा रणजीत सिंह तथा काराकाट लोकसभा सीट से प्रियंका चौधरी को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था।

सीमांचल के पिछडेपन से सब पर असर
आदिल हसन कहते हैं, जो पिछड़ापन सीमांचल में है, उसस केवल मुसलमान ही प्रभावित नहीं है बल्कि इस इलाके में रहने वाले हिंदू भी उससे प्रभावित है। इस इलाके में अगर अच्छे हॉस्पिटल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी बनती है तो इससे हिंदू को भी फायदा होगा और मुसलमान को भी। सीमांचल से अगर पलायन होता है तो केवल मुसलमान ही पलायन नहीं करते हैं बल्कि हिंदू भी पलायन करते हैं। इसलिए हम हिंदू और मुसलमान दोनों की आवाज बनने की पूरी कोशिश करेंगे।

अकेले बीजेपी से नहीं जीत सकते
हालांकि आदिल हसन कहते हैं, बीजेपी से अकेले कोई पार्टी नहीं जीत सकती है। अगर समान विचारधारा वाली पार्टी हमारा साथ दें तो हम उनके साथ देंगे। तेलंगाना में हम कांग्रेस के साथ हैं। अगर बिहार में भी ऐसा हो तो अच्छी बात है। बीजेपी को अकेले कोई पार्टी नहीं हरा सकती है। इस बात को सबको समझना होगा।

बिहार में पांच सीटों पर मिली थी जीत
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम ने बीस सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था। इनमें पांच सीटों, अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज सीटों पर पार्टी को सफलता मिली थी। हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम ने छह सीटों पर चुनाव लडा था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी। 2015 में एआइएमआइएम को जहां केवल 0.5 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं 2020 में 1.24 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। 2015 में ही एआइएमआइएम ने बिहार में अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था। तब से लेकर अब तक पार्टी राजग और महागठबंधन दोनों पर ही हमला करने की रणनीति पर काम कर रही है। केवल पांच साल के ही चुनावी सफर में एआइएमआइएम राज्य में जदयू, बीजेपी, राजद, कांग्रेस और भाकपा माले के बाद सबसे बडी पार्टी बनी।

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