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गोरखपुर बनेगा एथेनॉल उत्पादन का हब, मुख्यमंत्री करेंगे मेगा प्लांट का उद्घाटन

हरेन्द्र दुबे

गोरखपुर, 2 अप्रैल 2025 :

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गोरखपुर को ग्रीन एनर्जी हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 6 अप्रैल को गीडा (गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी) स्थित अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट का उद्घाटन करेंगे। यह प्लांट मेसर्स केयान डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 1200 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है। उद्घाटन के साथ ही यह गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश को एथेनॉल उत्पादन का प्रमुख केंद्र बना देगा।

तीन बड़े एथेनॉल प्रोजेक्ट से गोरखपुर को नई पहचान

गोरखपुर में एथेनॉल उत्पादन के लिए तीन बड़े प्रोजेक्ट विकसित हो रहे हैं। गीडा स्थित केयान डिस्टिलरी का प्लांट सबसे बड़ा है, जहां चावल और मक्का से एथेनॉल बनाया जाएगा। प्रथम चरण में इसकी उत्पादन क्षमता 3 लाख लीटर प्रतिदिन है, जिसे तीन चरणों में बढ़ाकर 10 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। इंडियन ऑयल के साथ इस प्लांट का एमओयू पहले ही हो चुका है, जिससे उत्पादित एथेनॉल की बिक्री सुनिश्चित हो गई है। इस परियोजना से चार हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा।

इसके अलावा, पिपराइच चीनी मिल में भी एथेनॉल उत्पादन की योजना बनाई गई है। सरकार ने 2025-26 के बजट में इस परियोजना के लिए 90 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस प्लांट की क्षमता 60 हजार लीटर प्रतिदिन होगी और यहां गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल का निर्माण किया जाएगा। इससे गन्ना किसानों को त्वरित भुगतान का लाभ भी मिलेगा।

धुरियापार में इंडियन ऑयल की बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स परियोजना के तहत एथेनॉल उत्पादन की भी योजना है। इस परियोजना के पहले चरण में 165 करोड़ रुपये की लागत से कम्प्रेस्ड बायो गैस (CBG) प्लांट शुरू हो चुका है, जबकि अगले चरण में एथेनॉल उत्पादन को गति दी जाएगी।

यूपी बना नंबर वन एथेनॉल उत्पादक राज्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायो-फ्यूल नीति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से उत्तर प्रदेश पहले ही देश का नंबर वन एथेनॉल उत्पादक राज्य बन चुका है। अब गोरखपुर को एथेनॉल उत्पादन का प्रमुख हब बनाकर सरकार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य पूरा कर रही है।

गोरखपुर के इन तीन एथेनॉल प्रोजेक्ट्स के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में निवेश और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। ग्रीन एनर्जी की इस पहल से न केवल ईंधन की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

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