
रामेश्वरम | 8 अप्रैल 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल 2025 को ऐतिहासिक पंबन ब्रिज के नए अवतार का उद्घाटन किया। यह नया ब्रिज जल्द ही यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। 1914 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस ब्रिज को अब आधुनिक तकनीक के साथ वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज के रूप में विकसित किया गया है। यह एशिया का पहला ऐसा रेलवे ब्रिज है जो जरूरत पड़ने पर ऊपर उठ सकता है, जिससे जहाजों की आवाजाही में कोई बाधा न हो।
पंबन द्वीप, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है, कभी भारत की मुख्य भूमि से कटा हुआ था। अंग्रेजों ने इसे जोड़ने के लिए 2.2 किलोमीटर लंबा रेलवे पुल बनाया था। इस क्षेत्र का धार्मिक और भौगोलिक महत्व भी विशेष है, क्योंकि यह स्थान रामेश्वरम मंदिर और श्रीलंका के नजदीक धनुषकोडि के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए खास है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पूर्व समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग की स्थापना की थी और नल-नील ने यहीं सेतु बनाया था। वहीं, इतिहास बताता है कि राजा कृष्णप्पा नायकन ने भी इस क्षेत्र को जोड़ने के लिए पत्थरों का पुल बनवाया था, जो समुद्री तूफानों के चलते नष्ट हो गया था।
पुराने पंबन ब्रिज को 2022 में बंद कर दिया गया था। इसके स्थान पर बनाए गए नए ब्रिज को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह 8000 करोड़ रुपये की लागत से बना है और दक्षिण भारत के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा। यह पुल अब रामेश्वरम को देश के अन्य हिस्सों से सीधे जोड़ने में सक्षम होगा।
हालांकि उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। भाजपा ने इसे तमिल अस्मिता की उपेक्षा बताया, जबकि स्टालिन ने इसे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की वजह बताया।
पंबन ब्रिज अब इतिहास और भविष्य का संगम बन चुका है।