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काशी के चौराहों पर सजेंगी खास कलाकृतियां, सांस्कृतिक विरासत को मिलेगी पहचान

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 10 अप्रैल 2025:

यूपी में शिवनगरी काशी वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) की अनोखी पहल से और सज संवर रही है। शहर के प्रमुख चौराहों और तिराहों पर काशी की कला और संस्कृति को दर्शातीं कलाकृतियों (स्कल्पचर) से लैस किए जा रहे हैं। इससे शहर का सौंदर्य बढ़ेगा वहीं पर्यटक भी सांस्कृतिक विरासत से परिचित होंगे।

पत्थर और मेटल से उकेरी जा रही काशी की पहचान, बरेका भी दे रहा योगदान

शहर के सौंदर्य को निखारने के लिए विकास प्राधिकरण ने हर कोने को खास बनाने की ठानी है।
इन शानदार स्कल्पचर्स को बनाने में बनारस रेल कारखाना (बरेका) बड़ी भूमिका निभा रहा है। कबाड़ के मेटल को नया आकार देकर ये कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं। ये स्कल्पचर पत्थर और मेटल के मिश्रण से तैयार किए जा रहे हैं।

नंदी, रुद्राक्ष व डमरू के साथ हॉकी स्टिक भी दिखेगी

कचहरी के पास अंबेडकर चौराहे पर पत्थर से बना शेर, आजमगढ़ मार्ग पर रिंग रोड के किनारे मेटल और पत्थर का नंदी बैल, और रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में मेटल का रुद्राक्ष, ये सभी काशी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाएंगे। मंडुवाडीह चौराहे पर शिव के डमरू और त्रिशूल की भव्यता दिखेगी, तो फुलवरिया के सेंट्रल जेल मार्ग पर हॉकी स्टिक और खिलाड़ी का स्कल्पचर खेल प्रेम को समर्पित होगा। सारनाथ, जहां गौतम बुद्ध ने शांति का संदेश दिया, वहां धम्म चक्र, हिरण, मछली और उस पेड़ की कलाकृति लगेगी, जिसके नीचे बुद्ध ने ध्यान लगाया था।

रामनगर पर लस्सी फेंटता शख्स, विजया तिराहे पर दिखेगा लट्टू

रामनगर चौराहे पर एक स्कल्पचर लगाया जा रहा है, जिसमें लौटे में लस्सी फेंटता एक शख्स नजर आएगा। बता दें कि काशी आने वाला हर शख्स रामनगर की लस्सी का जिक्र किए बिना नहीं रहता। सर्दी, गर्मी हो या बरसात, रामनगर की दुकानों पर लस्सी प्रेमियों की भीड़ लगी रहती है। इस स्वाद को सम्मान देते हुए चौराहे को लस्सी से जोड़ा गया है।
काशी के लकड़ी के खिलौने तो दुनिया भर में मशहूर हैं। लट्टू, गुड़िया और छोटे-छोटे शिल्प ऐसे हैं जिनकी शोहरत ऐसी है कि वाराणसी को जीआई टैग भी मिल चुका है। खोजवा इलाके में तैयार होने वाले इन खिलौनों को श्रद्धांजलि देते हुए आईपी विजया तिराहे पर लट्टू का स्कल्पचर स्थापित होगा।

कलाकृतियों में समाज और संस्कृति का सम्मान

महिला जिला अस्पताल परिसर में मां की गोद में बच्चे की मूर्ति ममता को सलाम करेगी। संस्कृत विश्वविद्यालय में वाचन करते ऋषि की मूर्ति ज्ञान की परंपरा को दर्शाएगी। जेएचवी मॉल के पास सेना को समर्पित कलाकृति होगी, तो टीएफसी में बुनकर अपनी बुनाई की कला दिखाएंगे। निफ्ट परिसर में पत्थर से बनी रेशम की कलाकृति बनारसी साड़ी की शान को उजागर करेगी।

काशी की कहानी बयां करेंगे खास स्कल्पचर

वीडीए के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग कहते हैं, “काशी में कला और संस्कृति का खजाना है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इसे पूरी तरह नहीं जान पाते। हमारा मकसद है कि ये स्कल्पचर पर्यटकों को काशी की खूबियों से रूबरू कराएं।” एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और शहर के सभी प्रवेश द्वारों से लेकर चौराहों तक, हर जगह ये कलाकृतियां काशी की कहानी बयां करेंगी।

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