
चेन्नई, 14 अप्रैल 2025
तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के अध्यक्ष और अभिनेता विजय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें कहा गया कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
राज्यसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को 4 अप्रैल को पारित कर दिया, जिसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 मत पड़े। इससे पहले लोकसभा ने लंबी बहस के बाद विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसमें 288 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 232 ने इसके विरोध में मतदान किया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून बन गया।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अदालत का रुख करने वालों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और इमरान प्रतापगढ़ी, आप विधायक अमानतुल्ला खान और आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और सांसद चंद्र शेखर आजाद शामिल हैं।
अन्य लोगों में संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान बर्क, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, केरल स्थित सुन्नी विद्वानों की संस्था समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और एनजीओ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स शामिल हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी इस अधिनियम को चुनौती देते हुए कहा है कि वह संसद द्वारा पारित संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताता है, क्योंकि ये “मनमाने, भेदभावपूर्ण और बहिष्कार पर आधारित” हैं।
बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा और फैयाज अहमद ने भी वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती दी है, जिसमें तर्क दिया गया है कि यह मुस्लिम धार्मिक बंदोबस्त में बड़े पैमाने पर सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देता है। बिहार से आरजेडी विधायक मुहम्मद इज़हार असफी ने भी इस अधिनियम को चुनौती दी है।
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके भी इस कानूनी चुनौती में शामिल हो गई है। इसके सांसद ए राजा, जो वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य थे, ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय में हस्तक्षेप आवेदन दायर किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि ये संशोधन भारत के संविधान की योजना के अनुरूप हैं, और इससे मुस्लिम समुदाय के किसी भी सदस्य के किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार, संबंधित हितधारकों को सशक्त बनाना, सर्वेक्षण, पंजीकरण और मामले के निपटान प्रक्रियाओं की दक्षता में सुधार करना और वक्फ संपत्तियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।






