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भारत का ऐतिहासिक फैसला: सिंधु जल समझौता तोड़ा, पाकिस्तान में हड़कंप, फवाद चौधरी की बौखलाहट

अनिता चौधरी

नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2025:  

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ते हुए भारत ने एक के बाद एक बड़े और साहसिक फैसले लिए हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। भारत ने न केवल सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया, बल्कि अटारी बॉर्डर बंद करने, पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश देने और पाकिस्तान में भारतीय दूतावास बंद करने जैसे कड़े कदम उठाए हैं। इन फैसलों ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है, और पूर्व मंत्री फवाद चौधरी जैसे नेता अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला देकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।

भारत की सख्त कार्रवाई: आतंकवाद को करारा जवाब

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने साफ शब्दों में कहा, “पहलगाम हमले की विश्व भर में निंदा हुई है। आतंकवाद के खिलाफ भारत अपनी लड़ाई को और तेज करेगा। कोई भी आतंकी बख्शा नहीं जाएगा, और पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।” भारत ने इन फैसलों को लागू करने के लिए तत्काल प्रभाव से कदम उठाए हैं:

सिंधु जल समझौता रद्द:

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह समझौता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए जीवन रेखा था। इसके तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को मिलता था। भारत ने अब इस समझौते को रद्द कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में पानी का गंभीर संकट पैदा होने की आशंका है। पाकिस्तान की 80% कृषि इन नदियों पर निर्भर है, और बिजली उत्पादन पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।

अटारी बॉर्डर बंद:

भारत ने अटारी बॉर्डर पर चेकपोस्ट को पूरी तरह बंद कर दिया है। यह शांति सीमा के रूप में जानी जाती थी, लेकिन अब न तो कोई भारतीय पाकिस्तान जा सकेगा और न ही कोई पाकिस्तानी भारत आ सकेगा। इस कदम से दोनों देशों के बीच सड़क मार्ग से होने वाला सारा व्यापार और आवागमन ठप हो जाएगा।

पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे का अल्टीमेटम:

भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं। उन्हें 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह फैसला उन परिवारों को भी प्रभावित करेगा जो शादी के रिश्तों के कारण भारत में रह रहे हैं।

पाकिस्तान में भारतीय दूतावास बंद:

भारत ने पाकिस्तान में अपने दूतावास को बंद करने का ऐलान किया है और सभी राजनयिकों को वापस बुला लिया है। साथ ही, पाकिस्तान को एक हफ्ते के अंदर अपना उच्चायोग खाली करने का आदेश दिया गया है।

पाकिस्तान उच्चायोग के स्टाफ पर कार्रवाई:

भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग के 5 सपोर्ट स्टाफ को तत्काल हटा दिया है, जिससे कूटनीतिक रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान की बौखलाहट, फवाद चौधरी का बयान

भारत के इन कठोर फैसलों से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने बौखलाते हुए कहा, “सिंधु जल समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत है। इसे रद्द करना कानून का उल्लंघन है। यह फैसला पाकिस्तान के गरीब किसानों को नुकसान पहुंचाएगा।” हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के साथ कोई समझौता बरकरार नहीं रहेगा।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के इन फैसलों का जवाब देने के लिए 24 अप्रैल 2025 को सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई है। विदेश मंत्री इशाक डार ने भी इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की जरूरत बताई है।

सिंधु जल समझौते का महत्व और टूटने का असर

सिंधु जल समझौता 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इसके तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी का उपयोग करने का अधिकार दिया गया। भारत ने तीन युद्धों के बावजूद इस समझौते का सम्मान किया, लेकिन पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के कारण भारत ने अब यह कड़ा कदम उठाया है।

इस समझौते के टूटने से:

पाकिस्तान में पानी का संकट: सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर निर्भर पाकिस्तान की खेती और बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा।

आर्थिक संकट: पानी की कमी से औद्योगिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं, जिससे पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था और बिगड़ेगी।

सामाजिक अशांति: पानी और बिजली की कमी से जनता में असंतोष बढ़ सकता है।

विश्व का समर्थन, भारत का संकल्प

विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने कहा, “पूरा विश्व भारत के साथ है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई अब और तेज होगी।” भारत की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में ये सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं। भारत का यह रुख न केवल पाकिस्तान को कड़ा संदेश देता है, बल्कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ उसकी मजबूत स्थिति को भी रेखांकित करता है।

आगे क्या?

भारत के इन ऐतिहासिक फैसलों ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। जहां भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने के लिए तैयार है, वहीं पाकिस्तान इन फैसलों का जवाब देने के लिए बेताब है। आने वाले दिन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और रणनीतिक समीकरणों को और जटिल कर सकते हैं।

भारत का यह कदम न केवल एक सख्त संदेश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जाने को तैयार है। क्या पाकिस्तान इन फैसलों का जवाब दे पाएगा, या यह उसकी अर्थव्यवस्था और समाज के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा? यह तो समय ही बताएगा।

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