
दमोह, 7 मई 2025
मध्यप्रदेश के दमोह में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे हर कोई हक्क-बक्क रह गया है। यहां पर दो जुड़वा बहनों ने अपने इसी रूप के चलते शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला कर दिया है। जानकारी अनुसार जुड़वा बहनों ने एक ही नाम और एक ही बी.ए. मार्कशीट का उपयोग करते हुए अलग-अलग सरकारी स्कूलों में अध्यापन की नौकरी हासिल कर ली, जो उनमें से एक की थी।
18 वर्षों तक दोनों वेतन लेते रहे, बच्चों को पढ़ाते रहे और किसी की नजर में नहीं आए। प्रत्येक बहन ने अपने धोखाधड़ी भरे कार्यकाल के दौरान 80 लाख रुपये से अधिक कमाए, जो कुल मिलाकर 1.6 करोड़ रुपये की राशि थी।
मामला तब प्रकाश में आया जब दोनों ने एक ही स्कूल में नौकरी के लिए आवेदन किया, जिससे शिक्षा विभाग को संदेह हुआ। विभाग ने एक बहन रश्मि को निलंबित कर दिया है, जो दीपेंद्र सोनी की पत्नी है। दूसरी बहन रश्मि, जो विजय सोनी की पत्नी है, फरार है। विडंबना यह है कि दोनों ही दस्तावेज जालसाजी का काम करते हुए नैतिक विज्ञान पढ़ा रहे थे।
दमोह के जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमम ने कहा, “एक ने मूल मार्कशीट का इस्तेमाल किया, दूसरे ने जाली कॉपी जमा की। जब दोनों ने सत्यापन के लिए अलग-अलग दस्तावेज दिए, तो सच्चाई सामने आने लगी।”
ये कोई अकेली घटना नहीं है। विभागीय जांच में पता चला है कि दमोह में 19 शिक्षकों की भर्ती फर्जी या संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई। फिर भी, अब तक केवल तीन को ही बर्खास्त किया गया है। शेष 16 अभी भी छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
इन 19 शिक्षकों ने पिछले कुछ वर्षों में सामूहिक रूप से 22.93 करोड़ रुपये से अधिक वेतन निकाला है। एक अन्य चौंकाने वाला मामला नीलम तिवारी और आशा मिश्रा से जुड़ा है – जो एक ही परिवार के भाइयों से विवाहित जुड़वां बहनें हैं – जो फर्जी डी.एड प्रमाण पत्रों के साथ मैनवार और गढ़ोला खांडे के स्कूलों में नौकरी कर रही थीं।
भोपाल, जबलपुर और यहां तक कि उच्च न्यायालय तक भी कई शिकायतें पहुंची हैं, जिन्होंने 9 अप्रैल तक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। लेकिन अधिकांश आरोपी वेतन लेना और पढ़ाना जारी रखे हुए हैं।






