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छत्तीसगढ़: अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्य, संस्कृति और धरोहर को मिलती है नई पहचान

Isha Maravi
Last updated: September 14, 2024 7:16 am
Isha Maravi 12 months ago
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रायपुर, 12 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़, जो भारत के मध्य में स्थित है, अपने आप में एक अनूठी पहचान रखता है। यह राज्य न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की जनजातीय आबादी के कारण भी विशेष महत्व रखता है। छत्तीसगढ़ को भारत के अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्यों में से एक माना जाता है, जहां की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न जनजातियों से आता है।

राज्य में प्रमुख जनजातियों में गोंड, हल्बा, भतरा, मुरिया, धुरवा, बइगा और कंवर शामिल हैं। इन जनजातियों की अपनी-अपनी भाषा, परंपराएँ, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक धरोहरें हैं, जो छत्तीसगढ़ की पहचान को और अधिक समृद्ध बनाती हैं। जनजातीय समाज की रंग-बिरंगी संस्कृति, संगीत, नृत्य, हस्तकला और पारंपरिक भोजन ने छत्तीसगढ़ को देश-विदेश में एक खास पहचान दी है।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति और धरोहर में अनुसूचित जनजातियों की प्रमुख भूमिका है। यहां के विभिन्न जनजातीय समुदायों के पारंपरिक नृत्य जैसे की ‘पंथी’, ‘रौत नाचा’, ‘सुआ नृत्य’, ‘करमा’ और ‘दंडामी माड़ीया’ नृत्य विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इन नृत्यों को अक्सर त्योहारों और महत्वपूर्ण अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है, जो जनजातीय समाज के सामूहिक जीवन और परंपराओं की एक झलक प्रस्तुत करते हैं।

छत्तीसगढ़ की हस्तकला भी जनजातीय संस्कृति का ही एक हिस्सा है। यहाँ की बांस कला, मेटल क्राफ्ट, और वुडवर्किंग की कलाएं राज्य की पहचान को और निखारती हैं। तीज-त्योहारों के समय राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित मेलों में इन हस्तकलाओं का प्रदर्शन किया जाता है, जो पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

जनजातीय समुदायों की विभिन्नता और उनकी विशेष सांस्कृतिक पहचान छत्तीसगढ़ की धरोहर को अद्वितीय बनाती है। इन जनजातियों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उनकी पारंपरिक कला और शिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। इन प्रयासों से न केवल जनजातीय समुदायों का आर्थिक विकास हो रहा है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने में मदद मिल रही है।

छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों की यह विशिष्टता राज्य को अन्य राज्यों से अलग बनाती है और इसे एक विशेष सांस्कृतिक पहचान प्रदान करती है। राज्य के विकास में जनजातीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और धरोहर जनजातीय समाज के योगदान से ही समृद्ध और जीवंत बनी हुई है।

छत्तीसगढ़ का यह अनूठा और समृद्ध सांस्कृतिक परिदृश्य न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में उभर रहा है, जो आने वाले समय में राज्य की संस्कृति और पहचान को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।

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