
नई दिल्ली, 4 जुलाई 2025
अपने आवास पर कथित तौर पर जले हुए नोटों के बंडल से विवाद में आने वाला न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की मुश्किलें जल्द बढने वाली है। इस मामले में बीते दिन केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्षी दलों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है और सांसदों से हस्ताक्षर एकत्र करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसने अभी तक यह निर्णय नहीं लिया है कि महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में।
उन्होंने कहा, “लोकसभा में प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए न्यूनतम 100 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है, जबकि राज्यसभा में प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए न्यूनतम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। हस्ताक्षर एकत्र करने की प्रक्रिया तब शुरू होगी, जब सरकार यह तय कर लेगी कि प्रस्ताव कहां प्रस्तुत किया जाए।”
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त को समाप्त होगा। संसद के किसी भी सदन में किसी न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद, अध्यक्ष या सभापति एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करेंगे जो उन आधारों की जांच करेगी जिन पर उसे हटाने की मांग की गई है।
समिति में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) या एक न्यायाधीश, 25 उच्च न्यायालयों में से एक के मुख्य न्यायाधीश और एक न्यायविद शामिल होंगे।
न्यायमूर्ति वर्मा पर आरोप था कि जब वे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, तब उनके सरकारी आवास पर नकदी मिली थी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप सिद्ध हो चुके हैं और उन्हें सेवा से हटाने की सिफारिश की गई।






