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अमित शाह ने तोड़ा लालकृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड: सबसे लंबे समय तक केंद्रीय गृह मंत्री रहने वाले

नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एनडीए गठबंधन की बैठक में अमित शाह की तारीफ करते हुए कहा कि वह अब तक के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले केंद्रीय गृह मंत्री हैं।

एनडीए संसदीय दल की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर पर प्रस्ताव पारित किया गया। ‘पहलगाम हमले के लिए ज़िम्मेदार द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अमेरिका ने एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और एक विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित किया है।’

पहलगाम हमले की निंदा करते हुए ब्रिक्स संयुक्त घोषणापत्र को अपनाया गया, जिसमें आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की बात कही गई, आतंकवाद से निपटने में दोहरे मानदंडों को खारिज किया गया, तथा पाकिस्तान द्वारा अपनी धरती पर फैलाए जा रहे आतंकवाद के विरुद्ध भारत के कूटनीतिक रुख की जीत को प्रतिबिंबित करने वाले प्रस्तावों को अपनाया गया।

अमित शाह ने लालकृष्ण आडवाणी को पीछे छोड़ा :

अमित शाह को भारत में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री होने का गौरव प्राप्त है, जिन्होंने 30 मई, 2019 को पदभार ग्रहण करने के बाद से 2,258 दिन पूरे कर लिए हैं। इसके साथ ही अमित शाह ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के कार्यकाल को पीछे छोड़ दिया है, जिन्होंने 19 मार्च, 1998 से 22 मई, 2004 तक 2,256 दिनों तक इस पद को संभाला था।

अमित शाह ने कांग्रेस नेता गोविंद बल्लभ पंत के कार्यकाल को पीछे छोड़ दिया है, जिन्होंने 10 जनवरी, 1955 से 7 मार्च, 1961 तक इस पद पर 6 साल और 56 दिन पूरे किए थे। अमित शाह ने 2019 में संसद में घोषणा की थी कि वह जम्मू-कश्मीर का विशेष संवैधानिक दर्जा समाप्त करेंगे और अनुच्छेद 370 को हटा देंगे।

अमित शाह ने पहली बार 30 मई, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री का कार्यभार संभाला था। वे 9 जून, 2024 तक इस पद पर बने रहे। नई सरकार के गठन के बाद 10 जून, 2024 को उन्होंने पुनः कार्यभार संभाला। गृह मंत्रालय के अलावा, वे केंद्रीय सहकारिता मंत्री का भी कार्यभार संभाल रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमित शाह के कार्यकाल में आंतरिक सुरक्षा और शासन व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इनमें सबसे प्रमुख 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय था। तब से, इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था में भारी सुधार हुआ है।

उनके कार्यकाल के दौरान हुई अन्य प्रगतियों में वामपंथी उग्रवाद और माओवादी गतिविधियों से संबंधित हिंसा में उल्लेखनीय कमी, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का चरणबद्ध कार्यान्वयन और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की शांतिपूर्ण प्रगति शामिल है। पूर्वोत्तर राज्यों में हुए कई शांति समझौतों ने इस क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे उग्रवाद को हल करने में मदद की है।

 

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