नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025 – पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 81वीं जयंती पर पूरे देश में याद किया जा रहा है। राजीव गांधी को भारत के आधुनिकीकरण की दिशा में निर्णायक कदम उठाने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। महज़ पांच साल के कार्यकाल (1984–1989) में उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी, टेलीकॉम, शिक्षा, पंचायती राज और प्रशासनिक सुधार जैसे क्षेत्रों में ऐसी नीतियों की नींव रखी जिनके प्रभाव आज भी देखे जा सकते हैं।
राजीव गांधी ने कंप्यूटर और माइक्रोप्रोसेसर आधारित तकनीकों को नीति स्तर पर बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से विश्वविद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा शुरू हुई, डेटा प्रोसेसिंग और प्रोग्रामिंग लैब विकसित हुईं, जिससे आगे चलकर भारत वैश्विक आईटी पावर बन पाया।
इसी तरह, टेलीकॉम क्षेत्र में भी उन्होंने क्रांतिकारी बदलाव की जमीन तैयार की। सी-डॉट (C-DOT) जैसी संस्थाओं को प्रोत्साहन देकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक सस्ती व स्वदेशी तकनीक से फोन कनेक्टिविटी पहुंचाने का रास्ता खोला। आज जिस दूरसंचार उछाल पर भारत गर्व करता है, उसकी शुरुआत इसी दौर से हुई थी।
उनके कार्यकाल में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण पहल हुई। ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों को अधिकार और वित्तीय स्वायत्तता देने का विचार इसी समय आकार ले सका, जो बाद में 73वें और 74वें संविधान संशोधनों के रूप में लागू हुआ।
शिक्षा, विज्ञान और प्रशासनिक सुधारों पर उनका जोर भारत को नई अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप तैयार करने वाला साबित हुआ। उन्होंने ई-गवर्नेंस और डेटा-आधारित पारदर्शी शासन की सोच दी, जिसे आगे की सरकारों ने विस्तार दिया।
राजीव गांधी को हमेशा संवाद और शांति पहल के पक्षधर नेता के रूप में भी याद किया जाता है। असम और मिज़ोरम जैसे राज्यों में समझौते की कोशिशें और युवाओं को नीति निर्माण के केंद्र में लाने का उनका विजन, आधुनिक भारत की दिशा तय करने में अहम साबित हुआ।