Lucknow City

23 अक्टूबर को होगी कलम-दवात की पूजा…जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और विधि-विधान

लखनऊ, 22 अक्टूबर 2025:

कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन भाई-दूज के साथ चित्रगुप्त पूजा का पर्व मनाया जाता है। यह दिन भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है, जिन्हें मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना जाता है। इस वर्ष चित्रगुप्त पूजा 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ही भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था इसलिए उनकी जयंती पर यह पर्व मनाया जाता है। यह वही दिन है जब भाई-दूज भी मनाई जाती है। चित्रगुप्त पूजा का दिन आत्ममंथन, सद्कर्म और पवित्रता का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त कलम-दवात की सहायता से सभी जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा लिखते हैं। वे यह भी निर्धारित करते हैं कि किसे कितने समय तक जीवित रहना है। इसलिए चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम, दवात और बही-खातों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की आराधना करने से साधक को विद्या, बुद्धि, साहस और लेखन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं और जीवन की रुकावटें दूर होती हैं।

मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को वचन दिया था कि जो भी भाई इस दिन बहन के घर जाकर तिलक लगवाकर भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। चूंकि भगवान चित्रगुप्त, यम देव के सहायक हैं, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष विधान है।

चित्रगुप्त पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त:

– तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर, रात 8:16 बजे

– तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर, रात 10:46 बजे

– पूजा का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:13 मिनट से 3:28 मिनट तक

पूजा विधि:

1. सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें।

2. लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित करें।

3. पूजा में अपनी किताब, पेन, रजिस्टर आदि रखें, ये भगवान चित्रगुप्त के प्रतीक माने जाते हैं।

4. ‘ऊँ श्री गणेशाय नमः’ का जाप करने के बाद भगवान चित्रगुप्त को रोली, चंदन, फूल, अक्षत और पंचामृत अर्पित करें।

5. घी का दीपक और धूप जलाएं, फिर ‘ऊँ चित्रगुप्ताय नमः’ मंत्र का कम से कम 11 बार जाप करें।

6. एक कोरे कागज पर ‘श्री गणेशाय नमः’ और ‘ऊँ चित्रगुप्ताय नमः’ लिखें, फिर उस पर अपनी मनोकामनाएं लिखें।

7- पूजा के अंत में यह मंत्र बोलें –

“मसिभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले।
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते॥”

8. आरती करें और प्रसाद वितरित करें। इस दिन भगवान से जाने-अनजाने में हुए पापों की क्षमा भी मांगनी चाहिए।

चित्रगुप्त पूजा पर क्या न करें :

इस दिन तामसिक भोजन (मांस, मदिरा आदि) से बचें। गंदे या अशुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा न करें। पूजा के दौरान एकाग्रता बनाए रखें और मन को भटकने न दें। यदि विधि ज्ञात न हो तो किसी पंडित या जानकार से सलाह लेकर ही पूजा करें। दिनभर शांति और पवित्रता बनाए रखें, झगड़ा, क्रोध या किसी जीव को कष्ट न दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button