लखनऊ, 22 अक्टूबर 2025:
तहजीब के शहर लखनऊ में बुधवार को जमघट के अवसर पर आसमान एक बार फिर रंगों से भर गया। लाल, पीली, नीली और काली पतंगों से सजा आसमान नवाबी दौर की यादें ताजा कर रहा था। छतों, मैदानों और नदी किनारे हर जगह लोग “वो काटा!”, “ढील दे!” की आवाजों के साथ पतंगबाजी का आनंद लेते दिखे।
पुराने लखनऊ की गलियों में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक पेंच लड़ा रहे थे। इस बार की खासियत रही “ऑपरेशन सिंदूर” पतंग और नेताओं की तस्वीरों वाली पतंगें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की तस्वीरों से सजी पतंगें लोगों का ध्यान खींच रही थीं। कुछ पतंगों पर “जीएसटी घटी, खुशियां बढ़ीं” जैसे राजनीतिक स्लोगन भी लिखे नजर आए।
चौक के ज्योतिबा फुले पार्क में काइट फ्लाइंग फेडरेशन की ओर से पतंगबाजी प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसका शुभारंभ राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने पतंग उड़ाकर किया। उन्होंने प्रतियोगिता में कई पेंच काटे, जबकि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पत्नी नम्रता के साथ पेंच काटकर माहौल में जोश भर दिया।
सदियों पुरानी है लखनऊ में पतंगबाजी की परंपरा
लखनऊ में पतंगबाजी की यह परंपरा कोई नई नहीं यह दो से तीन सौ साल पुरानी बताई जाती है। बताते हैं कि नवाब आसिफउद्दौला के जमाने से शुरू हुई यह रस्म आज भी उसी जोश और शौक के साथ निभाई जाती है। कभी पतंगों पर प्रेम संदेश लिखे जाते थे, तो कभी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विरोध जताने के लिए इन्हें उड़ाया जाता था।
आज भी लखनऊ की पतंगें केवल आसमान नहीं छूतीं, बल्कि सऊदी अरब तक सप्लाई होकर शहर की शान बढ़ाती हैं। हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों की साझी भागीदारी ने इस बार भी जमघट को “गंगा-जमुनी तहजीब” का जीवंत उत्सव बना दिया। सचमुच, लखनऊ में आसमान सिर्फ रंगों से नहीं, मोहब्बत और परंपरा से भी सजा था।






