लखनऊ, 30 अक्टूबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लाखों की ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। कुर्सी रोड स्थित जानकीपुरम गार्डन के रहने वाले सेवानिवृत्त इंजीनियर अश्वनी कुमार गुप्ता को ठगों ने “डिजिटल अरेस्ट” कर 17 दिनों तक मानसिक बंधक बनाए रखा। खुद को क्राइम ब्रांच अधिकारी बताने वाले जालसाजों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बताते हुए 38.42 लाख रुपये हड़प लिए।
30 सितंबर से शुरू हुई यह ठगी तब बढ़ी जब आरोपियों ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी और बैंक खातों की जांच के बहाने संपूर्ण जीवनभर की बचत मंगवा ली। इतना ही नहीं, जब पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने पीड़ित को पेंशन लोन लेकर रकम भेजने पर मजबूर किया।

गत 14 और 16 अक्टूबर के बीच दो बार में पैसे ट्रांसफर कराने के बाद जब ठगों ने बार-बार और रकम मांगी, तब जाकर अश्वनी को शक हुआ। परिवार से चर्चा करने पर सच्चाई सामने आई। फिलहाल साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और ठगों के बैंक खातों की जांच की जा रही है।
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बताते हैं ये कहानी
साइबर ठग खुद को सरकारी अधिकारी बताकर कहते हैं कि आपके नाम पर कोई अपराध हुआ है और “जांच पूरी होने तक” आप किसी से बात नहीं कर सकते। डराने के लिए वे वीडियो कॉल, जाली आईडी कार्ड, और फर्जी केस डॉक्यूमेंट दिखाते हैं ताकि पीड़ित पूरी तरह से उनके नियंत्रण में आ जाए।
ऐसे बचें डिजिटल अरेस्ट से
-किसी अनजान कॉल या वीडियो कॉल पर सरकारी अधिकारी बनकर की गई बातों पर भरोसा न करें क्योंकि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
-कोई व्यक्तिगत जानकारी, OTP या बैंक डिटेल साझा न करें।
-तुरंत टोल-फ्री नंबर 1930 या वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
-घबराएं नहीं, अपने परिवार या नजदीकी पुलिस स्टेशन से तुरंत संपर्क करें







