मुंबई,10 नवंबर 2025 :
बॉलीवुड के वो कलाकार जिनका चेहरा देखते ही डर और रोमांच दोनों एक साथ महसूस होता है, बात हो रही है आशुतोष राणा की। अपनी गहरी आवाज़, दमदार एक्सप्रेशन और खलनायकी से भरे रोल्स से उन्होंने हर किरदार में जान डाल दी। टीवी से शुरुआत करने वाले आशुतोष राणा ने फिल्मों में ऐसा जलवा बिखेरा कि हीरो तक उनके सामने कांपते नजर आए। आज वो सिर्फ एक शानदार एक्टर ही नहीं, बल्कि बेहतरीन लेखक और विचारक के रूप में भी पहचाने जाते हैं।
राजनीति के सपने से शुरू हुआ सफर
आशुतोष राणा आज अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं। 10 नवंबर 1967 को मध्य प्रदेश के गाडरवारा में जन्मे आशुतोष बचपन में राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन थिएटर ने उनका रुख अभिनय की ओर मोड़ दिया। दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर उन्होंने 1995 में टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ से करियर की शुरुआत की। इसके बाद ‘फर्ज’, ‘साजिश’, ‘वारिस’ और ‘काली-एक अग्निपरीक्षा’ जैसे सीरियल्स से पहचान बनाई। 135 से ज्यादा फिल्मों और सीरियल्स में काम कर चुके आशुतोष राणा आज भी हर किरदार में जान डाल देने के लिए जाने जाते हैं।

‘दुश्मन’ के डरावने गोकुल पंडित से लेकर ‘संघर्ष’ के लज्जा शंकर पांडे तक…
आशुतोष राणा का फिल्मी सफर भले ही टीवी से शुरू हुआ हो, लेकिन बॉलीवुड में उनकी असली पहचान 1998 की फिल्म ‘दुश्मन’ से बनी। तनुजा चंद्रा निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने गोकुल पंडित नाम के एक साइको किलर का किरदार निभाया था। ऐसा किरदार जो दर्शकों के दिलो-दिमाग पर आज तक छाया हुआ है। इस रोल ने न सिर्फ आशुतोष को रातोंरात सुर्खियों में ला दिया, बल्कि भारतीय सिनेमा के खलनायकों की परिभाषा ही बदल दी।
इसके अगले ही साल, 1999 में आई फिल्म ‘संघर्ष’ में उन्होंने लज्जा शंकर पांडे का किरदार निभाया, एक ऐसा नेगेटिव रोल जिसमें उनके अभिनय की गहराई और तीव्रता ने सभी को दंग कर दिया। ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ दोनों ही फिल्मों के लिए आशुतोष राणा को फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट विलेन मिला, और इसके साथ ही वे हिंदी सिनेमा के सबसे खतरनाक, पर सबसे यादगार विलेन के रूप में अमर हो गए।

असल जिंदगी में शांत और आध्यात्मिक इंसान
फिल्मों में जहां आशुतोष राणा का चेहरा डर और सिहरन पैदा करता है, वहीं असल जिंदगी में वे बेहद शांत, आध्यात्मिक और सादगी से भरे इंसान हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे खुद को ध्यान, शांति और सीखने से जोड़े रखते हैं। उनका मानना है कि एक अच्छा एक्टर वही होता है जो भीतर से स्थिर और शांत हो। वे महादेव के भक्त हैं और रोजाना ध्यान लगाते हैं।
साउथ सिनेमा में भी खूब जमाया रंग
आशुतोष राणा ने सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं, बल्कि साउथ इंडस्ट्री में भी अपना शानदार योगदान दिया है। उन्होंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी दमदार भूमिकाएं निभाईं। उनकी एक्टिंग का जलवा ‘राज’, ‘हासिल’, ‘आवरापन’, ‘मुल्क’, ‘सोनचिरैया’ और ‘पठान’ जैसी फिल्मों में भी देखने को मिला। हाल ही में वे विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ में मराठा योद्धा सरसेनापति हम्बीरराव मोहिते के किरदार में नजर आए, जिसमें उनके अभिनय की खूब तारीफ हुई।
सिर्फ एक्टर नहीं, शानदार राइटर भी
आशुतोष राणा न सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता हैं, बल्कि एक शानदार लेखक और विचारक भी हैं। उन्होंने दो किताबें लिखी हैं-‘मौन मुस्कान की मार’ और ‘रामराज’। इन दोनों पुस्तकों में उन्होंने जीवन, समाज और इंसान के भीतर की भावनाओं को बहुत ही आसान और गहरी भाषा में समझाया है।

कई अवॉर्ड्स से नवाजे गए आशुतोष राणा
अपने जबरदस्त अभिनय के लिए आशुतोष राणा को कई बड़े अवॉर्ड मिले हैं। उन्हें स्क्रीन अवॉर्ड, जी सिने अवॉर्ड और फिल्मफेयर अवॉर्ड जैसे कई सम्मान मिल चुके हैं। साल 2021 में फिल्म ‘पगलैट’ में पिता के रोल के लिए उन्हें फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड से भी नवाजा गया। आशुतोष राणा का सफर इस बात का सबूत है कि सच्चा कलाकार वही होता है जो अपने किरदारों में पूरी तरह डूब जाए और असल जिंदगी में विनम्र बना रहे।






