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बिरसा मुंडा जयंती पखवाड़ा: लखनऊ में होगा जनजाति भागीदारी उत्सव… सोनभद्र में सीएम होंगे खास मेहमान

13 से 18 नवंबर तक लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 'जनजाति भागीदारी उत्सव' होगा। इस उत्सव में देश की विविध कलाओं का अद्भुत संगम होगा। उद्घाटन के दिन 1090 चौराहे से एक सांस्कृतिक यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें 300 से अधिक कलाकार भाग लेंगे। देशभर के 22 राज्यों से आए 900 से अधिक कलाकार अपनी पारंपरिक कला, नृत्य और संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे।

लखनऊ, 10 नवंबर 2025:

लोकनायक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उत्तर प्रदेश में बड़ा आयोजन होने जा रहा है। एक नवंबर से पखवाड़ा मना रही राज्य सरकार इसका भव्य समापन 15 नवंबर को सोनभद्र में करेगी। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे। इससे पूर्व लखनऊ में 13 से 18 नवंबर जनजाति भागीदारी उत्सव मनाया जाएगा। इसमें देश की जनजातियों की संस्कृति की झलक मिलेगी।

इस मौके पर लखनऊ में पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और पिछड़ा कल्याण मंत्री असीम अरुण ने प्रेसवार्ता कर कार्यक्रमों की रूपरेखा साझा की। जयवीर सिंह ने बताया कि यह आयोजन आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपरा, संघर्ष और योगदान को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास है। पखवाड़े के दौरान पूरे प्रदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रम, रैलियां, परिचर्चाएं और प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं।

13 से 18 नवंबर तक लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘जनजाति भागीदारी उत्सव’ होगा। इस उत्सव में देश की विविध कलाओं का अद्भुत संगम होगा। उद्घाटन के दिन 1090 चौराहे से एक सांस्कृतिक यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें 300 से अधिक कलाकार भाग लेंगे। देशभर के 22 राज्यों से आए 900 से अधिक कलाकार अपनी पारंपरिक कला, नृत्य और संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे। उत्सव में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शिल्प मेला और शाम 5.30 बजे से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

उत्सव में जनजातीय कला और जीवनशैली को नजदीक से जानने का मौका मिलेगा। यहां 100 से अधिक शिल्प और हस्तशिल्प स्टॉल होंगे, जहां जनजातीय कला, वनज उत्पाद और हैंडलूम का प्रदर्शन किया जाएगा। विभिन्न जनजातीय व्यंजनों का विशेष फूड फेस्ट मुख्य आकर्षण होगा। साथ ही, जनजातीय साहित्य पर आधारित वाचन, संगोष्ठियां और “घर की आवाज़” नामक नाटक का मंचन भी होगा।

मंत्री असीम अरुण ने बताया कि यह उत्सव ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करेगा। इसमें देशभर की जनजातीय कला, नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजन प्रदर्शित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों से आए कलाकार अपनी लोकसंस्कृति और परंपराओं की झलक पेश करेंगे। सरकार का उद्देश्य है कि आदिवासी समाज के योगदान को सम्मान मिले और समाज में एकता व समरसता की भावना और मजबूत हो।

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