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पांच दिन में आजम को दूसरी गुड न्यूज, हेट स्पीच केस में भी बरी…कोर्ट ने जांच पर दागे सवाल

वर्ष 2019 में रामपुर में हुई चुनावी जनसभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराया गया था मुकदमा, जेल जाने से बचने पर आजम खान ने जज का शुक्रिया अदा किया

रामपुर, 11 नवंबर 2025:

सपा नेता आजम खान को गत सात नवंबर को लखनऊ में कोर्ट से आरएसएस को बदनाम करने के केस में बरी किया गया था। अब मंगलवार को यानी पांच दिन के अंदर ही उन्हें रामपुर में दर्ज भड़काऊ भाषण के केस में अदालत ने दोषमुक्त ठहरा दिया। यही नहीं कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। फिलहाल आजम खान के समर्थकों में जश्न का माहौल है और उन्होंने जज का शुक्रिया भी अदा किया।

सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान को रामपुर की सिविल लाइंस कोतवाली में दर्ज भड़काऊ भाषण के मामले में अदालत से राहत मिल गई है। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए आजम खान को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट ने विवेचना में लापरवाही बरतने पर संबंधित विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं।

बता दें कि यह मामला वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान का है, जब आजम खान सपा के प्रत्याशी थे। 23 अप्रैल 2019 को उन्होंने सिविल लाइंस क्षेत्र में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग पर टिप्पणी की और मतदाताओं को भड़काने वाले शब्दों का प्रयोग किया। अगले ही दिन, तत्कालीन एसडीएम सदर और सहायक रिटर्निंग अफसर प्रेम प्रकाश तिवारी ने सिविल लाइंस कोतवाली में आजम खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना पूरी कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद ट्रायल एमपी-एमएलए कोर्ट में चला।

मंगलवार को पत्रावली पर निर्णय के लिए सुनवाई हुई, जिसमें दोनों पक्षों की बहस पहले ही पूरी हो चुकी थी। कोर्ट ने साक्ष्यों की कमी का हवाला देते हुए आजम खान को बरी कर दिया। कोर्ट ने ये भी कहा कि निचली अदालत ने बयान के संदर्भ को ठीक से नहीं समझा था। साथ ही, सबूतों की जांच भी ठीक से नहीं की गई थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया गया था। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को अवैध करार दिया। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब आजम खान को अदालत ने राहत दी है। इससे पहले गत सात नवंबर को सरकारी लेटर पैड और मोहर के गलत इस्तेमाल से जुड़े एक अन्य मामले में भी उन्हें लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम आलोक वर्मा ने बरी किया था।

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