मनोरंजन डेस्क, 21 नवंबर 2025 :
थाईलैंड में हुए मिस यूनिवर्स 2025 का ताज इस बार मैक्सिको की खूबसूरत प्रतिभागी फातिमा बॉश के सिर सजा। दुनिया भर की सुंदरियों के बीच शानदार परफॉर्मेंस के बाद उन्होंने यह खिताब अपने नाम किया। जैसे ही उनका नाम विजेता के रूप में लिया गया, वे भावुक हो गईं और उनकी आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। रेड गाउन में वे बेहद ग्रेसफुल नजर आईं।

कौन रहीं फर्स्ट और सेकंड रनर अप?
इस प्रतियोगिता में थाईलैंड की मॉडल प्रवीणर सिंह फर्स्ट रनर अप रहीं। वेनेजुएला की स्टीफिन अबासली दूसरी रनर अप बनीं। वहीं फिलीपींस की अतीशा मनालो तीसरे स्थान पर रहीं। कोत दिव्वार की मॉडल चौथी रनर अप के तौर पर चुनी गईं।
टॉप 12 में जगह नहीं बना सकीं भारत की मनिका विश्वकर्मा
भारत की ओर से इस बार राजस्थान की मॉडल मनिका विश्वकर्मा ने हिस्सा लिया। मनिका ने टॉप 30 में जगह बना ली थी लेकिन टॉप 12 में नहीं पहुंच सकीं। इस बार भारत खिताब की दौड़ से बाहर हो गया।
फिनाले से पहले विवादों में घिरी थीं फातिमा बॉश
फातिमा बॉश फिनाले से पहले विवादों में भी रही थीं। चार नवंबर को एक कंट्रोवर्सी के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने थाईलैंड से जुड़े प्रोमोशनल कंटेंट को शेयर नहीं किया था। इसी बात पर मिस थाईलैंड के निदेशक नवात इत्साराग्रिसिल ने उन्हें सबके सामने फटकार लगाई। इससे नाराज होकर फातिमा मंच से वॉक आउट कर गईं। बाद में कई प्रतिभागियों के समर्थन के बाद वे वापस लौटीं और उन्होंने निदेशक के व्यवहार को गलत बताया।
25 साल की फातिमा बॉश ने रैंप पर रचा इतिहास
फातिमा बॉश फर्नांडिस का जन्म 19 मई 2000 को मैक्सिको के तेपा में हुआ था। उनकी उम्र 25 साल है। इस साल की प्रतियोगिता में चिली, कोलंबिया, क्यूबा, ग्वाडेलोप, मेक्सिको, प्यूर्टो रिको, वेनेजुएला, चीन, फिलीपींस और थाईलैंड समेत कई देशों की सुंदरियों ने भाग लिया। भारत की बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल इस बार जजों के पैनल में शामिल थीं।
फातिमा से पूछा गया महिलाओं पर महत्वपूर्ण सवाल
फिनाले में फातिमा से पूछा गया कि 2025 में एक महिला के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं और आप मिस यूनिवर्स बनकर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल कैसे बनाएंगी। इस पर फातिमा ने बहुत ही मजबूत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि एक महिला और मिस यूनिवर्स के तौर पर वे अपनी आवाज और ताकत को दूसरों की मदद में लगाना चाहेंगी।
उनका कहना था कि आज भी महिलाएं सुरक्षा, बराबरी और अवसरों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रही हैं। लेकिन आज की पीढ़ी चुप नहीं रहती। महिलाएं अब आवाज उठाने और बदलाव की मांग करने से नहीं डरतीं। वे नेतृत्व में अपनी जगह बनाना चाहती हैं और उन बातों को बदल रही हैं जो पहले उन्हें रोकती थीं।






